बैंकिंग सेक्टर में बढ़ रहे फ्रॉड, क्या धीमी हो रही डिजिटल बैंकिंग की चाल

नोटबंदी के बाद डिजिटल लेनदेन और डिजिटल बैंकिंग की रफ्तार में कमी आई थी. उसके बाद रिजर्व बैंक द्वारा केवाईसी को लेकर सख्ती बरते जाने के बाद डिजिटल बैंकिंग की रफ्तार थोड़ी और सुस्त हुई है.

जानकार कहते हैं कि डिजिटल लेनदेन और बैंकिंग में लगातार बढ़ते धोखाधड़ी की वजह से थोड़ा संभल कर चलना जरूरी है. डिजिटल क्रांति देश के हर क्षेत्र में आई है. सोशल नेटवर्किंग से लेकर पीत्जा डिलिवरी और टैक्सी बुक करने तक सब कुछ डिजिटल उपलब्ध है, लेकिन बैंकिंग इंडस्ट्री में डिजिटल क्रांति उस तरह से रफ्तार नहीं पकड़ पा रही.

बैंकों का बिजनेस मॉडल पुराने जमाने का है और खासकर पब्लिक सेक्टर के बैंकों को नई टेक्नोलॉजी अपनाने में समय लग रहा है. देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की योजना अगले दो साल में सभी तरह के लेनदेन को एक प्लेटफॉर्म के तहत लाने की है. बैंक यह काम अपने डिजिटल बैंकिंग प्लेटफॉर्म ´योनो´ की मदद से करेगा. यानी ऐसा करने में एसबीआइ को अभी दो साल लग जाएंगे. इस ऐप पर एक जगह सभी बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं, शॉपिंग आदि की सुविधा होगी.

एक अनुमान के अनुसार भारत में मोबाइल कनेक्शन की संख्या एक अरब को पार कर चुकी है और साल 2020 तक स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या बढ़कर 52 करोड़ तक पहुंच जाने का अनुमान है. देश की करीब आधी आबादी 30 साल से कम है जो काफी टेक्नो सैवी है, लेकिन बैंकिंग सेक्टर अभी इसका पूरा फायदा नहीं उठा पा रहा.

रिजर्व बैंक की सख्ती

सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर हेमंत बेनीवाल ने बताया, ´असल में डिजिटल लेनदेन में बढ़ती धोखाधड़ी को देखते हुए रिजर्व बैंक और खुद बैंकों ने कुछ सख्ती बरती है. हो सकता है कि इस वजह से कुछ रफ्तार कम हो रही हो. लेकिन यह निरंतर बढ़ने वाला मामला है. बैंक, पेमेंट बैंक, वॉलेट निरंतर नई टेक्नोलॉजी अपना कर धोखाधड़ी को कम से कम करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में इस तरह के ट्रांजेक्शन सुरक्ष‍ित होते जा रहे हैं, जिससे आने वाले वर्षों में इनका इस्तेमाल निरंतर बढ़ना है. ´

रिजर्व बैंक ने हाल के वर्षों में खासकर पेमेंट बैंकों को लेकर काफी सख्ती बरती है. पेटीएम, फोन पे जैसे पेमेंट गेटवे पर इस मामले में सख्ती बरती गई है कि वे अपने हर कस्टमर का ´केवाईसी´ यानी नो योर कस्टमर रिक्वायरमेंट को पूरा करें. रिजर्व बैंक ने अपने गाइडलाइन में बदलाव करते हुए हाल के वर्षों में कहा था कि पेमेंट बैंकों को केवाईसी के मामले में आरबीआई के मास्टर डायरेक्शन का अनुपालन करना होगा और इसमें समय-समय पर होने वाले बदलाव को भी अपनाना होगा.

Web Title : DIGITAL BANKING IN INDIA INCREASING FRAUD SLOW PACE

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