नहीं सुधर रहे इकोनॉमी के आंकड़े, पिछले 15 दिन में लगे ये 7 झटके

नई दिल्‍ली : भारतीय इकोनॉमी की सेहत लंबे समय से ठीक नहीं चल रही है. सिर्फ बीते 15 दिन में कई ऐसे आंकड़े आए हैं जो अर्थव्‍यवस्‍था की बदहाली की कहानी कह रहे हैं. ये आंकड़े सरकार के लिए किसी झटके से कम नहीं हैं. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ आर्थिक आंकड़ों के बारे में

1. दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े

बीते 29 नवंबर को चालू वित्त वर्ष (2019-20) की दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े जारी किए गए. ये आंकड़े बताते हैं कि देश की आर्थिक स्थिति पहले के मुकाबले और अधिक खराब हो गई है. इसके मुताबिक दूसरी तिमाही में जीडीपी का आंकड़ा 4. 5 फीसदी पहुंच गया है. यह करीब 6 साल में किसी एक तिमाही की सबसे बड़ी गिरावट है. इससे पहले मार्च 2013 तिमाही में देश की जीडीपी दर इस स्‍तर पर थी. वहीं लगातार 6वीं तिमाही से गिरावट देखने को मिली है.

2. कोर इंडस्‍ट्री का बुरा दौर

इसी दिन अक्‍टूबर महीने के कोर सेक्‍टर के आंकड़े जारी किए गए. सरकार के ताजा आंकड़ों के मुताबिक एक साल पहले के मुकाबले अक्‍टूबर महीने में कोर सेक्‍टर 5. 8 फीसदी लुढ़क गया. इंडस्‍ट्री के फर्टिलाइजर्स सेक्‍टर को छोड़ 7 अन्‍य पस्‍त नजर आए. बता दें कि कोर सेक्‍टर के 8 प्रमुख उद्योग में कोयला, क्रूड, ऑयल, नेचुरल गैस, रिफाइनरी प्रोडक्ट्स, फर्टिलाइजर्स, स्टील, सीमेंट और इलेक्ट्रिसिटी आते हैं. इनकी भारत के कुल इंडस्ट्रियल आउटपुट (औद्योगिक उत्पादन) में करीब 40 फीसदी हिस्सेदारी होती है.

3. RBI ने भी दिया झटका

बीते 5 दिसंबर को भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समीक्षा में वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान देश की जीडीपी बढ़त के अनुमान को 6. 1 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है. रिजर्व बैंक का यह अनुमान सरकार के लिए झटका है. आरबीआई ने कहा कि आर्थ‍िक गतिविधियां और कमजोर पड़ी हैं और उत्पादन की खाई नकारात्मक बनी हुई है. इसके पहले रिजर्व बैंक ने अक्टूबर महीने में नीतिगत समीक्षा में यह अनुमान जाहिर किया था कि वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी बढ़त 6. 1 फीसदी हो सकती है. वहीं नोमुरा समेत अलग-अलग संस्‍थाओं ने भी जीडीपी ग्रोथ अनुमान घटाकर झटका दिया है.

4. इकोनॉमी पर कम हुआ भरोसा

यही नहीं, लोगों का इकोनॉमी को लेकर भी भरोसा कम हुआ है. आरबीआई सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर महीने में कन्ज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स गिरकर 85. 7 अंक पर पहुंच गया. यह 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद सबसे निचला स्तर है. कन्ज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स में गिरावट का मतलब ये हुआ कि देश की इकोनॉमी को लेकर लोगों का भरोसा कम हुआ है और ग्राहक खरीदारी नहीं कर रहे हैं. भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लिए यह चिंता की बात है.

5. ऑटो इंडस्‍ट्री की मंदी बरकरार

ऑटो इंडस्‍ट्री की मंदी नवंबर में भी बरकरार रही. सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स (सियाम) के आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में ऑटो सेक्टर की कुल बिक्री में वार्षिक आधार पर 12. 05 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. वहीं अप्रैल से नवंबर की अवधि में बिक्री करीब 16 फीसदी कम हो गई है. इस अवधि के बीच प्रोडक्‍शन में भी 13. 75 फीसदी की गिरावट आई है. नवंबर में कुल बिक्री 1,792,415 वाहनों की रही. जबकि एक साल पहले इसी समय में यह बिक्री 2,038,007 वाहनों की रही थी.

6. औद्योगिक उत्पादन भी हुआ कम

हाल ही में सरकार की ओर से जारी आंकड़ों में बताया गया है कि औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) अक्टूबर महीने में 3. 8 फीसदी घट गया. आधिकारिक आंकड़े के अनुसार औद्योगिक उत्पादन में सितंबर महीने में 4. 3 फीसदी और अगस्त महीने में 1. 4 फीसदी की गिरावट आई थी.

7. खुदरा महंगाई में तेजी

प्याज सहित अन्य सब्जियों, दाल और मांस, मछली जैसी प्रोटीन वाली वस्तुओं के दाम चढ़ने से नवंबर माह में खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 5. 54 फीसदी पर पहुंच गई. यह स्तर तीन साल का उच्चतम है. इससे पहले जुलाई 2016 में खुदरा महंगाई दर 6. 07 फीसदी थी. आंकड़ों के अनुसार माह के दौरान सब्जी, दाल और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों के महंगा होने से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा महंगाई में तेजी आई है.

Web Title : ECONOMY FIGURES NOT IMPROVING, 7 SHOCKS IN LAST 15 DAYS

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