Arun Jaitley
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) काउंसिल की आज (06 अक्टूबर को) 22वीं बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने की. बैठक में छोटे व्यापारियों को राहत देते हुए उन्हें हर महीने रिटर्न भरने से छूट देने का फैसला लिया गया है. डेढ़ करोड़ रुपये तक के टर्नओवर पर पहले हर महीने रिटर्न भरने का प्रावधान था जिसे अब त्रैमासिक कर दिया गया है. इसके अलावा 50,000 रुपये तक की खरीद पर पैन की अनिवार्यता को भी खत्म कर दिया गया है. सरकार ने जेम्स एंड ज्वेलरी पर से जीएसटी हटा लिया है. जल्द ही इसकी अधिसूचना जारी की जाएगी. जीएसटी कांउसिल के फैसले के मुताबिक अब 2 लाख तक की खरीदारी करने पर पैन नंबर देना होगा.
जीएसटी काउंसिल ने 23 अगस्त को जारी अधिसूचना वापस लेने का फैसला किया है. इसके तहत सर्राफा कारोबारियों को सर्राफा बेनामी एक्ट में लाया गया था लेकिन अब उन्हें इस एक्ट से बाहर रखा गया है. काउंसिल का बैठक में फैसला लिया गया है कि 50, 000 रुपये से ज्यादा की ज्वेलरी खरीद करने पर किसी भी व्यक्ति से ना तो आधार लिया जाएगा और ना ही पैन नंबर. बता दें कि सर्राफा व्यापारी लंबे समय से इसका विरोध कर रहे थे.
गौरतलब है कि जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स (वस्तु एवं सेवा कर) को 30 जून की मध्यरात्रि से देश भर (जम्मू-कश्मीर को छोड़कर) में लागू किया गया था. इसके तहत 20 लाख तक का व्यापार करने वालों को जीएसटी से बाहर रखा गया था. साथ ही 75 लाख तक के व्यापारी को कम्पोजिट स्कीम में लाकर जीएसटी से राहत देने की बात कही गई थी लेकिन जीएसटी लागू होने के तीन महीने बाद इसके क्रियान्वयन में आई परेशानियों को देखते हुए सरकार ने इसमें कुछ संशोधन का फैसला किया है. अब काउंसिल ने कम्पोजिट स्कीम के तहत 75 लाख की सीमा को बढ़ाकर एक करोड़ कर दिया है.
जीएसटी काउंसिल ने सभी वस्तुओं और सेवाओं को चार टैक्स स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) में बांटा था. काउंसिल ने 12011 वस्तुओं को इन चार वर्गों में रखा है. बता दें कि 30 जून की मध्य रात्रि संसद भवन में आयोजित लॉन्चिंग समारोह में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, तत्कालीन उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जे एस खेहर, वित्त मंत्री अरुण जेटली के अलावा तमाम केंद्रीय मंत्री मौजूद थे. जीएसटी लॉन्चिंग के वक्त कहा गया था कि जीएसटी भारत की अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में बदलाव लाते हुए एकल बाजार में 2,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था और 1. 3 अरब लोगों को जोड़ेगी.