नागरिकता संशोधन बिल, कानून नहीं काला कानून, मुस्लिम समाज के साथ सहयोगी संगठनो ने की नागरिकता संशोधन बिल को रद्व करने की मांग

बालाघाट. नागरिकता संशोधन बिल को काला कानून करार देते हुए आज 17 दिसंबर को नगर के आंबेडकर चौक में मुस्लिम समाज के साथ सहयोगी संगठन मदर टेरेसा सेवा समिति, दि बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया, आदिवासी हल्बा समाज, बहुजन क्रांति मोर्चा, राष्ट्रीय मूलनिवासी महिला संघ, राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद, भारत मुक्ति मोर्चा, आदिवासी गोवारी समाज संगठन, बिरसा बिग्रेड, भीम आर्मी, समता सैनिक दल और आंबेडकर एकता मंच सहित अन्य संगठनों ने धरना देकर महामहिम राष्ट्रपति, यूएनए और प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन देकर नागरिकता संशोधन बिल को संविधान की मूल भावना के विपरित होने और भारतीय मुसलमान को इससे अलग रखने के कारण रद्द किये जाने की मांग की.  

नगर के आंबेडकर चौक में आयोजित धरना प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल संविधान की मूल भावना के विपरित और धर्म के आधार पर मुस्लिम समाज को अलग करता है. जब देश आजाद हुआ था, तब भारत का गठन धर्म निरपेक्ष देश के रूप में किया गया था. संविधान मंे सभी धर्म के लोगों को जीने और रहने का अधिकार दिया गया है लेकिन देश की मोदी सरकार द्वारा पारित किये गये नागरिकता संशोधन बिल, केवल एक मुस्लिम धर्म के लोगों को अलग करता है, जिसमें उनके बारे में कोई उल्लेख नहीं है, ऐसे में यदि यह कानून लागु हो जाता है तो देश के अधिकांश मुस्लिमो को परेशान होना पड़ेगा और जो कानून किसी धर्म को लेकर अंतर दिखाता है, वह बाबा साहब के संविधान के विपरित नजर आता है. देश के बंटवारे के दौरान भी इस देश के मुसलमानों ने धर्म पर आधारित देश पाकिस्तान में जाना गवारा नहीं समझा बल्कि अपनी मातृभूमि, जहां वह पैदा हुए थे, वहीं रहना कबूल किया, किन्तु आज मुस्लिम समाज को अलग-थलग करने की कानूनी प्रक्रिया पूरी प्लानिंग के साथ सुनियोचित तरीके से लागु की जा रही है. जिसमें सिर्फ मुलसमानों को नागरिकता सिद्ध करने के लिए तरह-तरह के दस्तावेज बुलवाकर उन्हें मानसिक, आर्थिक और धार्मिक रूप से प्रताड़ित करने का काम किया जायेगा.  

वक्ताओं ने कहा कि भारत देश की मुस्लिम आबादी संविधान में संशोधन कर बाहर देशों से आये प्रवासी लोगों को नागरिकता देने के खिलाफ नहीं है, सरकार उन्हें नागरिकता दे किन्तु धर्म के आधार पर नहीं. नागरिकता देनी है तो सभी को दे, केवल मुस्लिम जाति छोड़कर सिर्फ गैर मुस्लिम आधार ही न हो.  

ज्ञापन के माध्यम से मुस्लिम समाज ने सीएबी और एनआरसी में मुस्लिम एवं गैर मुस्लिम सभी को शामिल कर एक ही कार्ड जरिये पहचान पत्र देने, संविधान की भावना के आधार पर नागरिकता का निर्धारण करने, संविधान के आर्टिकल 5 एवं 14 के प्रावधान अनुसार ही सभी को नागरिकता देने और संविधान से छेड़छाड़ को बंद करने की मांग की गई.

इस दौरान जामा मस्जिद पेश ईमाम जाहिर रजा, ईमाम हबीब नूरी, मौलना ईरशाद, अखित साहब, मुफ्ती ईशानूरी, इमाम खतीब साहब, गुलाम मुस्तुफा, मौलाना वहिद नूरी, हबीब नूरी, अंजुमन इस्लामिया कमेटी प्रबंधक अनीश मेमन, युनुस खान पप्पा भाई, शोहेब खान, राजिक खान, शफीक भाई, सुलेमान कच्छी, युनुश कच्छी, पार्षद यासीन खान, साबिर मंसुरी, शकील मंसुरी, जफर अली, रहीम खान, कादर रजा, वहीद वारसी, शब्बीर पटेल, अफसर बेग, शमीम सिद्धीकी, मकसुद खान, राजेश मरार, धर्मेन्द्र कुरील, श्री भंडारी, भूतेश्वर पटले, रंजीता बिसेन, रूपसिंह उईके, महेश सहारे, श्री इनवाती, अधि. सुनील बेले, शीलरत्न बंसोड़, प्रशांत मेश्राम, कल्पना वासनिक, नरेन्द्र मेश्राम, यमलेश वंजारी, योगेन्द्र, अल्लारक्खा, सहित बड़ी संख्या में मुस्लिम जमात और सहयोगी संगठन पदाधिकारी एवं सदस्य मौजूद थे.


Web Title : CITIZENSHIP AMENDMENT BILL, LAW NO BLACK LAW, AFFILIATEORGANIZATIONS WITH MUSLIM SOCIETY DEMAND TO RULE OUT CITIZENSHIP AMENDMENT BILL