पुत्र की दीर्घ आयु की कामना को लेकर माताओं ने किया हलषष्ठी का व्रत

बालाघाट. भादो मास के कृष्ण पक्ष्ज्ञ की छठ को मनाया जाने वाला हलषष्ठी का व्रत आज पूरे विधि, विधान से व्रतधारी महिलाओं द्वारा पुत्र की दिर्घायु की कामना के साथ मनाया गया. ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को गर्भवती और संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलायें भी करती है.

इस व्रत में फल के अलावा बोया अनाज पासर का चांवल आदि खाने का विधान है. व्रत में इसके अलावा केवल बच्चे वाली भैंस का दूध और दही भी खाया जाता है. यह व्रत पुत्र की माताओं द्वारा ही किया जा ता है. जो पुत्रों की दीर्घ आयु ओर उनकी सम्पन्नता के लिए किया जाता है. इस व्रत में व्रतधारी महिलायें प्रति पुत्र के हिसाब से छह छोटे मिट्टी या चीनी के बर्तनों में पांच या सात भुने हुए अनाज या मेवा भरती है. जिसके बाद एक छोटी कांटेदार झाड़ी (जारी) की एक शाखा, पलाश की एक शाखा और नारी (एक प्रकार की लता) की एक शाखा को भूमि या किसी मिट्टी भरे गमले में गाड़कर उसकी पूजा अर्चना करती है. जिस व्रत को आज पूरे जिले में व्रतधारी महिलाओं द्वारा विधि विधान से मनाया गया.  

जिसमें व्रतधारी महिलाओं ने हलछठ माता की पूजा अर्चना की और कथा पढ़ी. जिसके बाद आरती कर पूजन में मौजूद सभी महिलाओं को प्रसाद का वितरण किया गया. ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन ही भगवान श्रीकृष्ण के भाई बलराम का भी जन्म हुआ था. जिससे इस दिन किसान भी भगवान श्रीकृष्ण के भाई बलराम के शस्त्र हल और बैल की पूजा करते है. यह पर्व हिन्दु परंपरा का एक महत्वपूर्ण पर्व होता है, जो मातायें बेटे की दीर्घ आयु और उसकी सम्पन्नता के लिए करती है.


Web Title : MOTHERS VOW TO WISH SON LONGEVITY