स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन ने दिये टेस्ट मिलिंग के आदेश,टेस्ट मिलिंग में मिलर्स और मीडिया को शामिल किये जाने की मिलर्स एशोसिएशन ने की मांग, चांवल की तरह गंेहू की भी जांच-भगत

बालाघाट. जिले में मिलिंग के माध्यम से सप्लाई किये गये चांवल की केन्द्रीय टीम द्वारा की गई जांच में उसके अमानक पाये जाने के मामले के सुर्खियों में आने के बाद मिलर्स और अधिकारी एवं कर्मचारियों पर कार्यवाही के आदेश हो गये है. जहां इस मामले में प्रदेश सरकार द्वारा मामले की जांच ईओडब्ल्यु को सौंप दी गई है, वहीं जिला प्रशासन द्वारा अमानक चांवल सप्लाई करने वाले जिले के 18 मिलर्स की मिलों को सीलबंद करने और विद्युत कनेक्शन को विच्छेद किये जाने की कार्यवाही के साथ ही एफआईआर करने के निर्देश दिये है. जिसको लेकर मिलर्स एशोसिएशन ने मोर्चा खोल दिया, लगातार कार्यवाही के खिलाफ मिलर्स एशोसिएशन द्वारा कार्यवाही पर रोक लगाने और टेस्ट मिलिंग की मांग की जा रही है. मिलर्स की मानें तो मध्यप्रदेश राईस मिलर्स एशोसिएशन विगत कई सालों से टेस्ट मिलिंग की मांग कर रहा है. समझा जा रहा है कि गत 8 सितंबर को मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन लिमिटेड भोपाल द्वारा प्रमुख सचिव, खाद्य मध्यप्रदेश के पत्र क्रमांक/एफ5-3(1-1)2020/29-1, दिनांक 02. 09. 2020 के संदर्भ में खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में उपार्जित धान की टेस्ट मिलिंग करने के निर्देश मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन लिमिटेड के बालाघाट, जबलपुर, सिवनी, मंडला, कटनी, रीवा, सतना और दमोह को दिये है, जो आदेश मिलर्स की मांग पर दिये गये है.  

जिसको लेकर बालाघाट जिला मिलर्स एशोसिएशन ने सवाल खड़े किये है. एशोसिएशन जिलाध्यक्ष का कहना है कि टेस्ट मिलिंग के लिए जो समिति का गठन किया गया है, उसमें स्टेट सिविल सप्लाईज कॉर्पोरेशन के जिला प्रबंधक, जिला विपणन अधिकारी, मध्यप्रदेश वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक कार्पोरेशन के जिला एवं शाखा प्रबंधक तथा भारतीय खाद्य निगम द्वारा जिले के लिए अधिकृत प्रतिनिधि को शामिल किया गया है. मिलर्स एशोसिएशन के जिलाध्यक्ष जितेन्द्र मोनु भगत ने कहा कि इस आदेश में टेस्ट मिलिंग समिति में मिलर्स और मीडिया को शामिल किया जाना चाहिये. उन्होंने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि यदि अब टेस्ट मिलिंग होते समय मिलर्स और मीडिया मौजूद नहीं रही तो प्रशासन अपने बचाव में अपनी रिपोर्ट बनाकर मिलर को दोषी बना सकता है और खुद को बचा ले जायेगा. जिससे पूरी प्रक्रिया की दूषित हो जायेगी. जिसकी पारदर्शिता के लिए जरूरी है कि इस टेस्ट मिलिंग में मिलर्स और मीडिया को भी शामिल किया जायें.  

मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन लिमिटेड भोपाल द्वारा प्रमुख सचिव, खाद्य मध्यप्रदेश के पत्र क्रमांक/एफ5-3(1-1)2020/29-1, दिनांक 02. 09. 2020 के संदर्भ में खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में उपार्जित धान की टेस्ट मिलिंग करने के निर्देश मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन लिमिटेड के बालाघाट, जबलपुर, सिवनी, मंडला, कटनी, रीवा, सतना और दमोह के लिए जारी किये गये है. जिसमें कहा गया है कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा निर्देशित किया गया है कि खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में उपार्जित धान की कस्टम मिलिंग के लिए जिलो द्वारा वर्षा से क्षतिग्रस्त धान प्रदाय यिके जाने के कारण मिलिंग में चांवल डेमेज एवं डिस्कलर घटक निर्धारक मानक से अधिक पाये जा रहे है. उक्त स्थिति को देखते हुए दृष्टिगत रखते हुए निर्देशित किया गया है कि, धान मिलिंग के लिए मानक गुणवत्ता का धान प्रदाय किया जायें. यदि उपार्जन अथवा भंडारण के दौरान वर्षा से धान क्षतिग्रस्त हुई है तो ऐसी अमानक धान को छांटकर पृथक से निस्तारण की कार्यवाही की जायें तथा संबंधित का दायित्व निर्धारण करते हुए अधिकत्तम 15 दिवस में शासन को वस्तुस्थिति से अवगत कराया जायें. जिसमें जिले में भंडारित धान की टेस्ट मिलिंग के लिए शासन द्वारा 4 सदस्यीय टीम गठित की गई है. इस निर्देश में यह भी साफ निर्देश है कि यथासंभव टेस्ट मिलिंग के लिए जिले की ऐसी राईस मिलस का चयन किया जायें, जिसके द्वारा मिलिंग की गई सीएमआर के निरीक्षण में बीआरएल नहीं पाई गई हो. शासन के निर्देशानुसार टेस्ट मिलिंग की कार्यवाही करते हुए मुख्यालय को अधिकत्तम 7 दिवस में प्रतिवेदन उपलब्ध कराना सुनिश्चित करने कहा गया है.  

टेस्ट मिलिंग के आदेश को लेकर बालाघाट जिला मिलर्स एशोसिएशन के जिलाध्यक्ष जितेन्द्र मोनु भगत ने कहा कि बालाघाट जिले में जो उपार्जित धान के टेस्ट मिलिंग के लिए कहा गया है, उसके लिए बालाघाट जिले की सिवनी जिले के नरेला ओपन कैंप में रखी गई लगभग 7 लाख क्विंटल से धान का उठाव किया जायें. जिसमें भी मिलर्स और मीडिया की निगरानी में यह पूरी प्रक्रिया की जायें, ताकि अमानक चांवल का सच सबके सामने आ सके.  

उन्होंने कहा कि मिलिंग में चांवल दिये जाने का जो मानक स्तर तय किया गया है वह धान की गुणवत्ता पर है, जब प्रदेश के मिलर्स को ही वर्षा से क्षतिग्रस्त धान दी जायेगी तो उसमें कैसे मानक स्तर संभव हो पायेगा. उन्होंने कहा कि वर्षो से मानक स्तर का मापदंड पंजाब की धान के आधार पर निकालकर प्रदेश के मिलर्स पर थोपने का काम किया जा रहा है, जिससे प्रदेश के मिलर्स को दोहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है. जहां एक ओर जिले द्वारा वर्षा से क्षतिग्रस्त धान मिलिंग करने दी जा रही है वहीं उसे मानक स्तर पर देने के लिए दबाव बनाया जाता है और जब यह संभव नहीं होता है तो मिलर्स पर कार्यवाही की जाती है. जिसे मिलर्स अब बर्दाश्त नहीं करेगा.  

जिलाध्यक्ष श्री भगत ने कहा कि यदि सरकार को मानक स्तर पर चांवल चाहिये तो प्रदेश में सरकार आगामी खरीफ सीजन में सभी किसानो को स्वर्णा धान के बीज प्रदाय करें, जिससे उपार्जित धान ही सरकार खरीदे. जिससे केन्द्र सरकार के मानक स्तर के चांवल को प्रदाय करना मिलर्स के लिए संभव होगा. अन्यथा कभी भी केन्द्र सरकार के मानक स्तर पर अन्य धान और वर्षा से क्षतिग्रस्त धान की गुणवत्ता मानक स्तर का चांवल देना असंभव है. साथ ही उन्होंने मांग की कि प्रदेश में चांवल की भारतीय खाद्य निगम की जिस लेब से जांच की गई है, उसी लेब से प्रदेश में खरीदे गये गेंहू की भी जांच करवाई जायें. चूंकि इसमें मिलर्स शामिल नहीं है, यदि जांच होती है तो निश्चित ही गेंहू का स्तर भी लेब की जांच में अमानक ही पाया जायेगा. उन्होंने कहा कि हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार मिलर्स के खिलाफ मिलिंग अनुबंध के नियमों के विपरित की जा रही कार्यवाही पर रोक नहीं लगाती है.


Web Title : STATE CIVIL SUPPLIES CORPORATION ORDERS TEST MILLING, MILLERS ASSOCIATION TO INCLUDE MILLERS AND MEDIA IN TEST MILLING, DEMANDS AN INQUIRY INTO GANHU LIKE CHANWAL