कोयला नगर में दिखेगा सीप, कागज, उन से निर्मित माँ सरस्वती का सजीव रूप, कलाकार पर एक नजर  

धनबाद : कलाकार की कलाकृति सदैव सजीव रहती है,  यह कहना है बीसीसीएल के फाइनेंस अफसर और कलाकार अभिजीत चटर्जी का. कार्मिक नगर में निवास करने वाले अभिजीत वर्ष 1977 से मां सरस्वती की प्रतिमा को सजीव रूप देने का काम लगातार करते आ रहे हैं. इनके द्वारा बनाई गई कलाकृति सजीव होती है. बीसीसीएल के कोयला नगर में आयोजित होने वाले सरस्वती पूजा में इनके द्वारा निर्मित सरस्वती की प्रतिमा को ही स्थापित किया जाता है. साथ ही कला कहीं विलुप्त ना हो जाए, इस वजह से प्रत्येक वर्ष उनके द्वारा बनाई गई प्रतिमा को सुरक्षित रखा जाता है. इसी क्रम मे अभिजीत ने मां सरस्वती की प्रतिमा को कई माह की मेहनत के बाद अंतिम रूप देने में कामयाब हुए. उनके द्वारा बनाए जा रहे मूर्ति में तथा सीप, कागज, उन और अन्य सामग्रियों का इस्तेमाल किया गया है, जो कि सरस्वती पूजा के दिन कोयला नगर में दिशा महिला संघ के द्वारा आयोजित पूजा पंडाल में विराजेंगी.

परिचय एवं अन्य जानकारी

प्रतिमा निर्माण
1) 1977 से 1991 रांची में,
2) 199. से 2020 धनबाद में,
1977 से 2008 तक प्रतिमा बनाकर अपने घर पर ही पूजा अर्चना करता था. 2009 में जब तत्कालिन सी. एम. डी., बी. सी. सी. एल. के टी. के. लाहिड़ी व उनकी धर्मपत्नी सुमना लाहिड़ी को पता चला तो वे अपने बैनर तले बी. सी. सी. एल. नारी शक्ति के सदस्यों द्वारा यह पूजा सम्पन्न होती है. जो आज तक जारी है.

विभिन्न वर्षे में विभिन्न चीजों से बनाई गयी प्रतिमा
2000- गेहूँ. 2001- मोती / 2002- साबुदाना / 2003- दाल चावल. 2004-समाचार पत्र / 2005-साल पत्र / 2006- लकड़ी के छिलके / 2007- थरर्मोकोल /2008- दिया / 2009- सुतली / 2010- कोयला / 2011- साबुन / 2012- गमछा/ 2013- पुआल के छिलके. 2014- टयूबलाईट / 2015- नारियल रस्सी / 2016- फुलों से / 2017- जरी पाइ़. 2018- बालू / 2019- (नहीं बनाया माँ का देहान्त) 2020- पैटल पेपर, उन व सीप दवारा.

मिला सम्मान 
तत्कालीन सी. एम. डी., बी. सी. सी. एल. द्वारा सुतली की प्रतिमा को पुरस्कृत किया ( नगद. 001/-रू० श्रीफल व शाल)
2010 कोयला की प्रतिमा -मानव संचार विभाग में स्थापित.
2013 पुआल के छिलके की प्रतिमा कोयला भवन में स्थापित.
2014 ट्यूब लाईट की प्रतिमा मंदिर पर वित्त निदेशक द्वारा 10,000/- से पुरस्कृत.
2003 में पेडेस्टल पेंटिंग, कोलकाता द्वारा पुरस्कृत.
2002 में तत्कालीन सी. एम. डी एन. पान द्वारा शौर्य व उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मान.
2018 में बंगला पत्रिका आमि अन्यन्या´ द्वारा पुस्तक मेला आयोजन के मंच पर सम्मान.