खदानों के खतरों को पहले ही बता देगी सिंफर की ‘तीसरी आंख’ की तकनीक, किसानों-कारीगरों को घर बैठे मिलेगा बाजार, तीन महत्वपूर्ण करार पर हुए दस्तखत

धनबाद, (प्रशांत झा): धनबाद के सीएसआइआर-सिंफर, ने सोमवार को तीन महत्वूपर्ण करार किए हैं. इसमें डिजिटल माइन, ग्रामीण ई-बाजार और रांची विश्वविद्यालय के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं. भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा प्रायोजित इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स का उपयोग करते हुए डिजिटल खान के व्यावसायीकरण के लिए लाइसेसिंग अनुबंध किया गया है. सीएसआइआर-काउंसिल फाॅर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च (वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद) के महानिदेशक व वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग के सचिव डाॅ. शेखर सी. मांडे की उपस्थिति में इसके लिए मेसर्स ऑप्टिमाइज्ड सॉल्यूशंस लिमिटेड, अहमदाबाद के लिए एमडी संदीप शाह और सिंफर के बीच समझौता-पत्र पर हस्ताक्षर किए गए. इस तकनीक के माध्यम से भौतिक खदान को 3डी वर्चुअल खदान में के रूप में देखा जा सकेगा. आईओटी-आधारित सेंसरों और एआई का उपयोग करते खतरों का आॅनलाइन खदान माॅनिटरिंग एवं पूर्वानुमान व्यक्त किया जा सकेगा. इसमें वास्तविक काल सेंसर डेटा, खनिकों और परिसंपत्ति ट्रैकिंग का ग्रैफिकल रिप्रेजेंटेशन भी किया जा सकेगा. साथ ही साथ आईओटी सक्षम उपकरणों का उपयोग करते ऑडियो-विजुअल चेतावनी प्रदान करना और स्थिति को नियंत्रित करना भी इस तकनीक के माध्यम से संभव है. एकीकृत डेटा, वॉएस और वीडियो संचार की सुविधा से युक्त इस टेक्नालाॅजी से ऑनलाइन उत्पादन मॉनिटरिंग मैनेजमेंट भी बखूबी किया जा सकता है.  

किसानों, कारीगरों, शिल्पकारों को होगा ई-बाजार से लाभ    

हैदराबाद के मेसर्स एजफोर्स सोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के साथ ग्रामीण-ई-बाजार सॉफ्टवेयर के उपयोग के लिए लाइसेंस अनुबंध किया गया है. कंपनी के सीईओ कर्नल पी हनी ने लाइसेसिंग अनुबंध पर हस्ताक्षर किया. इस अनुबंध का उद्देश्य ग्रामीण उत्पादों की बिक्री में सहयोग करना है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित ग्रामीण ई-बाजार सॉफ्टवेयर का उपयोग किसानों, कारीगरों, शिल्पकारों और अन्य ग्रामीण लोगों के लिए किया जा सकेगा. वे अपने ग्रामीण उत्पादों और अन्य स्वदेशी उत्पादों को इस माध्यम से बेच कर अपनी आजीविका कमा सकेंगे.

जूलाॅजी में रिसर्च और नाॅलेज शेयरिंग को मिलेगा बढ़ावा

तीसरा समझौता एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग) के रूप में सीएसआईआर-सिम्फर और रांची विश्वविद्यालय के भू-विज्ञान विभाग के साथ हुआ. इसके तहत शिक्षा, प्रशिक्षण, अनुसंधान और ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार के लिए आपसी हितलाभ पर सहयोगात्मक कार्य किया जाएगा. विश्वविद्यालय की तरफ से कुलसचिव डा एम सी मेहता ने दस्तखत किए.    

इस मौके पर सिंफर निदेशक डाॅ प्रदीप कुमार सिंह, डाॅ आर वी के सिंह, डाॅ सिद्धार्थ सिंह समेत कई वरिष्ठ वैज्ञानिक उपस्थित थे.