विटामिन-डी की कमी एक बड़ी समस्या है जो आपकी सेहत पर काफी प्रभाव डाल सकती है. जीवन में विटामिन डी के उत्पादन के लिए स्वस्थ आहार, शारीरिक गतिविधि और खुले में समय बिताने से विटामिन डी का उत्पादन त्वचा में बढ़ता है, यह विटामिन डी के उच्च सीरम स्तर और कम प्लाज्मा लिपिड स्तर से जुड़े हो सकते हैं.
विटामिन डी को बोन मेटाबोल्जिम (हड्डी उपापचय) के लिए जरूरी माना जाता है. इसके कम सीरम स्तर से रिकेट्स, अस्टियोमालासिया व अस्टियोपेनिया का खतरा बढ़ जाता है. आहार में विटामिन डी के कुछ प्रमुख स्रोत डेयरी उत्पाद व मछली है. विटामिन-डी की कमी से बुजुर्गो में अवसाद का खतरा बढ़ जाता है. यह बात हालिया एक शोध से उजागर हुई है.
आयरलैंड के डबलिन विश्वविद्यालय के शोधार्थी ईमोन लैर्ड ने बताया, शोध में पाया गया कि विटामिन-डी का संबंध हड्डी के अलावा स्वास्थ्य संबंधी अन्य दशाओं से भी है. हैरानी की बात यह है कि इसकी कमी का असर अवसाद पर भी होता है. पोस्ट एक्यूट एंड लांग टर्म केयर मेडिसिन नामक जर्नल में प्रकाशित इस शोध में 50 से अधिक उम्र के 4,000 लोगों को शामिल किया गया था.
मालूम हो कि विटामिन-डी का मुख्य स्रोत सूर्य की किरणें हैं. ऐसे में बुजुर्गो को सूर्य के प्रकाश से दूर रखने से उनको अवसाद का खतरा बढ़ सकता है. शोध में पाया गया कि विटामिन-डी की कमी से अवसाद का खतरा 75 फीसदी बढ़ जाता है. वहीं यह जान लेना भी जरूरी है कि विटामिन डी से भरपूर आहार से बच्चों में कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है.
इससे दिल संबंधी बीमारियों से जुड़े दूसरे जोखिम कारकों पर भी लाभदायक असर पड़ता है. शोध में कहा गया है कि जिन बच्चों में विटामिन डी का स्तर 80 एनएमओएल/एल (प्रति लीटर नैनोमोल) से ज्यादा होता है, उनमें 50 एनएमओएल/लीटर से कम विटामिन स्तर वाले बच्चों की तुलना में लोअर लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल) या बुरा कोलेस्ट्रॉल स्तर होता है.
यहां हैं विटामिन डी से भरपूर आहारों की सूची
1. फैटी फिश जैसे सेल्मॉन और टूना
2. अंडे की जर्दी
3. कॉड लिवर ऑयल
4. मशरूम
5. ऑयस्टर्स