कोरोना: डॉक्टरों ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, आवाज उठाने पर प्रताड़ित करने का आरोप

भारत के लिए यह बेहद कठिन समय है क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हमारे डॉक्टर और चिकित्साकर्मी भी कोरोना वायरस के निशाने पर हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 3 अप्रैल तक देश भर में 50 से अधिक मेडिकल स्टाफ कोरोना संक्रमित पाए जा चुके हैं. ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं.

मुंबई के वॉकहार्ट अस्पताल के 26 नर्स और 3 डॉक्टरों को कोरोना संक्रमित पाया गया है. इसके बाद सोमवार को बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने इस अस्पताल को नियंत्रण में ले लिया. एक महीने से मेडिकल बिरादरी की ओर से पीपीई और अन्य सुरक्षा उपकरणों की कमी की तमाम शिकायतें आ रही हैं. डॉक्टरों की ये शिकायतें बढ़ती जा रही हैं. इसके साथ ही अब एक नई परेशानी आ रही है. जो डॉक्टर प्रोटेक्टिव गियर या खराब स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सोशल मीडिया पर आलोचना कर रहे हैं, उन्हें प्रबंधन की ओर से परेशानी का सामन करना पड़ रहा है.

नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (RDA) ने सोमवार को पीएम मोदी को पत्र लिखकर डॉक्टरों के खिलाफ इस कठोर प्रतिक्रिया के बारे में शिकायत की है. इस एसोसिएशन में करीब 2500 डॉक्टर हैं. एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री को लिखा है, हमारे अगली कतार के हेल्थकेयर कर्मचारी-डॉक्टर, नर्स और अन्य सहायक कर्मचारी पीपीई, COVID परीक्षण उपकरण और क्वारनटीन सुविधाओं की उपलब्धता से संबंधित अपनी समस्याओं और मुद्दों के साथ सोशल मीडिया पर आगे आए हैं. अधिकारियों को इन सूचनाओं को रचनात्मक रूप से देखना चाहिए. अपने साथियों और मरीजों के कल्याण के लिए डॉक्टरों के प्रयासों की सराहना करने के बजाय उन्हें ´कठोर प्रतिक्रिया´ मिल रही है.

एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी डॉ. श्रीनिवास राजकुमार ने इंडिया टुडे से विशेष बातचीत में कहा, हमें हर रोज चिकित्सा कर्मचारियों की ओर से शिकायतें मिल रही हैं कि उनकी उचित चिंताएं जाहिर करने के लिए उनके अस्पताल प्रबंधन द्वारा उन्हें परेशान किया जा रहा है. यहां तक कि एम्स में भी अगर कोई डॉक्टर या नर्स खराब क्वालिटी के पीपीई की पिक्चर डालता है या सुविधाओं पर सवाल उठाता है तो उससे सवाल पूछे जाते हैं और प्रताड़ित किया जा रहा है.

श्रीनिवास ने कहा, हमने प्रधानमंत्री से अपील की है कि वे यह सुनिश्चित करें कि हमें अपमानित करने के बजाय चिकित्सा बिरादरी की राय का सम्मान किया जाए. हम नहीं चाहते कि आप हमारे लिए ताली बजाएं, यहां तक कि धन्यवाद कहें, लेकिन कम से कम हमारा अधिकार न छीनें और हमारी आवाज न दबाएं. फिलहाल कम से कम आप चिकित्सा बिरादरी के लिए इतना कर सकते हैं.

बीएमसी कमिश्नर से की शिकायत

महाराष्ट्र के यूनाइटेड नर्सेज एसोसिएशन ने सोमवार को बीएमसी कमिश्नर से शिकायत की कि वॉकहार्ट अस्पताल में बरती गई लापरवाही के कारण वहां काम करने वाली नर्सों और स्टाफ में कोरोना संक्रमण फैल गया. अस्पताल के स्टाफ सदस्यों ने कहा कि अस्पताल ने नर्सों को क्वारनटीन नहीं किया और उन्हें काम करने के लिए मजबूर किया जिसके परिणामस्वरूप अन्य स्टाफ सदस्यों में वायरस फैल गया. शिकायत में यह भी कहा गया है कि कुछ नर्सों का आरोप है कि उन्हें कोरंटाइन रहने की सलाह के बावजूद प्रबंधन द्वारा कहा गया कि वे काम करना जारी रखें.

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल पुलिस को गुरुवार को निर्देश दिया कि उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में तैनात एक डॉक्टर का जब्त किया गया मोबाइल फोन और सिम कार्ड वापस किया जाए. डॉक्टर इंद्रनील खान ने बुधवार को अदालत में अपील की थी कि उन्होंने फेसबुक और ट्विटर पर कुछ पोस्ट डाली थी, जिसके बाद साउथ 24 परगना जिले के महेस्ताला पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई और पुलिस द्वारा उत्पीड़न किया जा रहा है.

खान ने अपने ट्विटर हैंडल से 29 मार्च को कुछ तस्वीरें अपलोड की थीं और बताया था कि कैसे डॉक्टरों को रेनकोट पहनने और घटिया मास्क का इस्तेमाल करने के लिए कहा जा रहा है. डॉक्टर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत कथित तौर पर अशांति और घृणा की भावना पैदा करने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज किया गया.

शिकायत करने पर दंडित करने का आरोप

दिल्ली के हिंदू राव अस्पताल के एक अन्य रेजिडेंट डॉक्टर ने नाम न लिखने की शर्त पर इंडिया टुडे को बताया, हमारे कुछ अनुबंधित डॉक्टरों और नर्सों ने समुचित प्रो​टेक्टिव गियर्स की मांग की थी लेकिन बहरे कानों को यह आवाज सुनाई नहीं दी तो उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया. बाद में अस्पताल प्रशासन ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया और कहा कि उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि जो लोग अपने देश को महामारी से बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं, उन्हें महत्वपूर्ण मुद्दे की ओर ध्यान दिलाने के लिए दंडित क्यों किया जा रहा है. सरकार और अधिकारियों को यह आलोचना सकारात्मक रूप में लेनी चाहिए.

डॉक्टर ने कहा, यदि आप नर्सों और चिकित्सा ​कर्मियों को समुचित उपकरण प्रो​टेक्टिव गियर मुहैया नहीं कराते हैं, तो इससे चिकित्सा कर्मचारियों में संक्रमण के मामले बढ़ेंगे. जब देश अपनी एकता के समझौता नहीं कर सकता, यह और अधिक अराजकता को जन्म देगा. अस्पतालों में आने वाले मरीजों में स्वास्थ्य कर्मियों से ही संक्रमण फैलने का विनाशकारी मार्ग प्रशस्त होगा.


Web Title : CORONA: DOCTORS WRITE LETTER TO PM MODI, ACCUSED OF HARASSING HIM FOR RAISING VOICE

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