राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार पर मंडरा रहा संकट अब हटता हुआ दिख रहा है. सोमवार दोपहर को अशोक गहलोत ने सौ से अधिक विधायकों की परेड मीडिया के सामने करवाई और विक्ट्री साइन दिखाया. साफ है कि अशोक गहलोत ने संदेश दिया है कि उनके पास बहुमत है और सचिन पायलट के सभी दावे गलत साबित होते दिख रहे हैं. ऐसे में अब हर किसी की नजर इसपर है कि सचिन पायलट क्या कदम उठाएंगे. सचिन पायलट लगातार 25 से अधिक विधायक होने का दावा कर रहे थे.
पिछले कुछ दिनों से चल रहे इस सियासी ड्रामे ने रविवार को क्लाइमेक्स का रूप ले लिया. जहां अशोक गहलोत और सचिन पायलट में सियासी तलवारें खिंच गई और दिल्ली में मौजूद केंद्रीय नेतृत्व को एक्शन में आना पड़ा. दिल्ली से तीन नेता जयपुर पहुंचे, जिन्होंने अशोक गहलोत और अन्य विधायकों के साथ बैठक की.
भाजपा में शामिल होंगे सचिन पायलट?
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से खफा चल रहे सचिन पायलट के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के आसार हैं. रविवार को सचिन ने पूर्व कांग्रेसी साथी और भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की, दोनों की मीटिंग करीब 40 मिनट तक चली. जिसके बाद अटकलें लगाई जाने लगीं कि सचिन पायलट भी भाजपा का दामन थाम सकते हैं. और सोमवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में पार्टी ज्वाइन कर सकते हैं, हालांकि अभी तक इसपर कुछ कन्फर्म बात सामने नहीं आई है.
सचिन पायलट को कितने विधायकों का समर्थन
राजस्थान में कांग्रेस दो धड़ों में बंट चुकी है, ऐसे में हर किसी की ओर से अपने-अपने दावे किए जा रहे हैं. सचिन पायलट के गुट का दावा है कि उनके साथ करीब 30 विधायक हैं, जबकि और भी साथ आ सकते हैं. और जल्द ही ये विधायक अपना इस्तीफा विधानसभा स्पीकर को सौंप सकते हैं. दूसरी ओर कांग्रेस इस दावे को नकार रही है, लेकिन रविवार रात को अशोक गहलोत के आवास पर हुई बैठक में सिर्फ 75 के करीब ही कांग्रेस विधायक पहुंच पाए, जिसने कांग्रेस को सतर्क कर दिया है.
क्या कहता है राजस्थान का नंबर गेम?
राजस्थान में कांग्रेस और साथी दलों के पास पूर्ण बहुमत है और भाजपा काफी दूर है. अगर कुछ विधायक पाला बदलते हैं तो राजस्थान की सरकार पर कोई बड़ा संकट नहीं आता दिख रहा है. राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं, जिनमें से कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं इसके अलावा उसे कुछ अन्य निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जबकि भाजपा के पास सिर्फ 72 विधायक हैं. अब अगर सचिन पायलट के दावे के मुताबिक, 30 विधायक पाला बदलते हैं, तो अशोक गहलोत सरकार पर संकट आ सकता है.
किस मुद्दे को लेकर आर-पार की लड़ाई?
दरअसल, अशोक गहलोत और सचिन पायलट में राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव से ही आरपार की लड़ाई जारी है. लेकिन मौजूदा वक्त में ये विवाद तब गहराया जब अशोक गहलोत ने बीजेपी पर सरकार गिराने का आरोप लगाया, साथ ही पार्टी के अंदर कुछ गद्दारों को चेताया. इसकी जांच के लिए एक ग्रुप बनाया गया, जिसने सचिन पायलट को पूछताछ के लिए नोटिस भेज दिया. हालांकि, ऐसा नोटिस सीएम को भी गया था. इसी के बाद विवाद बढ़ता गया. साथ ही सचिन पायलट के प्रदेश अध्यक्ष पद का कार्यकाल खत्म हो रहा है और राजस्थान में उपचुनाव, पंचायत चुनाव भी होने हैं.