RSS चीफ ने किया दावा, महात्मा गांधी को बताया कट्टर हिन्दू

हाल ही में RSS चीफ मोहन भागवत ने ऐसा दावा किया है की राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कट्टर हिंदू थे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र पांचजन्य को दिए इंटरव्यू में भागवत ने कहा कि हम हिंदुत्व के नाते किसी को अपना दुश्मन नहीं मानते, किसी को पराया नहीं मानते. लेकिन उस हिंदुत्व की रक्षा के लिए हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति, हिंदू समाज का संरक्षण हमको करना ही पड़ेगा, और इसके लिए लड़ना पड़ा तो लड़ेंगे भी.

-RSS प्रमुख मोहन भागवत ने वास्तविक हिंदुत्व´ और आक्रामक हिंदुत्व´ के संबंध में एक सवाल के जवाब में कहा, ´´ हम हिन्दुत्व को एक ही मानते हैं. हिन्दुत्व यानि हम उसमें श्रद्धा रखकर चलते हैं. महात्मा गांधी कहते थे सत्य का नाम हिंदुत्व है. वहीं जो हिंदुत्व के बारे में गांधीजी ने कहा है, जो विवेकानंद ने कहा है, जो सुभाष बाबू ने कहा है, जो कविवर रवींद्रनाथ ने कहा है, जो डॉ. अंबेडकर ने कहा है.. . . हिंदू समाज के बारे में नहीं, हिंदुत्व के बारे में.. . . वही हिंदुत्व है. लेकिन उसकी अभिव्यक्ति कब और कैसे होगी यह व्यक्ति और परिस्थिति पर निर्भर करता है. ´

- भागवत ने आगे कहा- मैं सत्य को मानता हूं और अहिंसा को भी मानता हूं और मुझे ही खत्म करने के लिए कोई आए और मेरे मरने से वह सत्य भी मरने वाला है और अहिंसा भी मरने वाली है, उसका नाम लेने वाला कोई बचेगा नहीं तो उसको बचाने के लिए मुझे लड़ना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि लड़ना या नहीं लड़ना यह हिंदुत्व नहीं है. सत्य अहिंसा के लिए जीना या मरना, सत्य अहिंसा के लिए लड़ना या सहन करना, यह हिंदुत्व है.

- संघ प्रमुख ने कहा कि ये जो बातें चलती हैं कि स्वामी विवेकानंद का हिंदुत्व और संघ वालों का हिंदुत्व, कट्टर हिंदुत्व या सरल हिंदुत्व, ये भ्रम पैदा करने के लिए की जाने वाली तोड़-मरोड़ है क्योंकि हिंदुत्व की ओर आर्कषण बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि तत्व का नहीं स्वभाव आदमी का होता है.

- सोशल मीडियो को लेकर संघ प्रमुख ने कहा कि- ´मर्यादा में रहकर सोशल मीडिया का उपयोग करना चाहिए, इन्हें प्रयोग करते हुए इनकी सीमाओं और नकारात्मक दुष्प्रभावों को समझना जरूरी है. उन्होंने कहा ´यह आपको आत्मकेंद्रित और अहंकारी बना सकते हैं. भागवत ने कहा कि सोशल मीडिया का स्वरूप कुछ ऐसा हो गया है कि बस मैं और मेरा. भागवत ने कहा कि संघ का फेसबुक पेज है, मेरा नहीं. संघ का ट्वीटर पेज है, मेरा नहीं.. . और न ही कभी होगा. इसका उपयोग करें, लेकिन इसके आदी न बने. मर्यादा में रहते उसके साथ चलें.

- 1909 में महात्मा गांधी की गुजराती में लिखी बुक ´हिंद स्वराज´ में बापू ने धर्म का जिक्र किया है, इस पुस्तक में वो साफ कहते हैं- ´मुझे धर्म प्यारा है, इसलिए मुझे पहला दुख तो यह है कि हिंदुस्तान धर्मभ्रष्ट होता जा रहा है. धर्म का अर्थ मैं हिंदू, मुस्लिम या जरथोस्ती धर्म नहीं करता. लेकिन इन सब धर्मों के अंदर जो धर्म है, वह हिंदुस्तान से जा रहा है, हम ईश्वर से विमुख होते जा रहे हैं.


Web Title : THE RSS CHIEF HAS CLAIMED, MAHATMA GANDHI TOLD PROTESTANT HINDU