कैसा हो माँ बेटी का रिश्ता

 अपनी छोटी सी बच्ची को उम्र की एक-एक सीढ़ी तय करके किशोरी, फिर युवती, उसके बाद एक औरत बनते देखना हर मां के लिए एक अनोखा अनुभव होता है.  

मां ही बेटी को उसके भविष्य के लिए तैयार करती है.

मां बेटी के बीच परस्पर विश्वास का रिश्ता होता है.  

मांएं जहां बेटियों को जिंदगी के हर अच्छे बुरे समय के लिए तैयार करती हैं 

वही बेटियां अपनी जिंदगी के हर फैसले में मां की राय को पूरा महत्व देती हैं 

उम्र के इस पड़ाव तक पहुंचते-पहुंचते मां-बेटी एक दूसरे के सुख दुख परेशानियां और दर्द बांटने लगती हैं.  

अपनी बिटिया को हाथ पकड़ कर इस मोड़ तक लाने का दायित्व मां का ही होता है.  

कुछ बातें ऐसी हैं जो अगर माँ शुरू से ही अपनी लाडली को बताए तो वह जिंदगी का बेहतर तरीके से सामना करने के लिए तैयार हो जाती हैं.

जिंदगी फूलों की सेज नहीं है

किशोरावस्था में आंखों में ढेरों सपने जाग जाते हैं.  

दुनिया में सब कुछ बेहद हसीन और आसान लगता है.  

लेकिन माँ जानती है कि यह हकीकत नहीं है.  

जिंदगी में बहुत संघर्ष होते हैं, कोई भी चीज आसानी से नहीं मिलती.  

बातों-बातों में आप अपनी बेटी को जिंदगी के इस सच से रूबरू करवाएं.

स्त्री परिवार की डोरी है

स्त्रियों पर ही सारे परिवार को चलाने और सब को एक साथ लेकर चलने की जिम्मेदारी होती है.  

स्त्री के इर्द-गिर्द ही पति और बच्चों की दुनिया घूमती है.  

ऐसी स्थिति में यह एक मां का दायित्व है कि वह अपनी बिटिया को एक जिम्मेदार स्त्री बनने में सहायता दे.  

शुरू से ही बेटी परिवार में सब के साथ बराबरी और सम्मान का व्यवहार करना सिखाए.

आत्म निर्भर होना जरूरी है

बिटिया को शुरू से ही पढ़ाई का महत्व समझाएं.  

पुरानी मान्यताएं अब बदल रही हैं.  

आजकल लड़के तो कामकाजी पत्नी चाहते ही हैं, खुद लड़कियों के लिए भी अपने पांव पर खड़ा होना जरूरी है.  

भविष्य हमेशा सुखद ही होगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है.  

यदि आप या उसका भावी पति नहीं चाहते कि आप की बिटिया नौकरी करे तो भी उसे कुछ ऐसी व्यवसायिक योग्यता अवश्य दिलवाएं, जो जरुरत पड़ने पर उस के काम आ सके.  

बेटी को जिंदगी के हर रंग के लिए तैयार करें और उसे अपनी जिंदगी के सही फैसले करने के काबिल बनाएं.

बेटी को पैसे की कद्र करना सिखाएं

अक्सर किशोर बच्चे पैसे की कद्र नहीं करते.  

फिल्में देखने, नए कपड़ों या मेकअप पर अनाप-शनाप खर्च करने की आदत अपने बच्चों और खासकर बिटिया में तो बिल्कुल ना पड़ने दें.  

आखिरकार उसी पर अपने परिवार को अच्छे तरीके से चलाने की जिम्मेदारी आने वाली है.  

माँ ही बेटी में शौक और जरूरत में फर्क करने की काबिलियत पैदा कर सकती है.  

घर का बजट बनाते समय युवा बेटी को भी साथ रखें तो बेहतर होगा.

अपने शरीर के प्रति वह खुद जिम्मेदार है

आजकल के बदलते मूल्य और विदेशी चैनलों के बढ़ते प्रभाव के कारण किशोरावस्था में अफसर बच्चों के कदम भटक जाते हैं.  

तो कभी-कभी घर बाहर के कुछ लोग बच्चियों की मासूमियत का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं.  

एक मां की हैसियत से यह आपकी जिम्मेदारी हो जाती है, कि आप बेटी को इन बैटन के प्रति सजग करें.  

उसे बताएं कि अपने स्त्रीत्व के प्रति उसे खुद ही जिम्मेदार होना होगा.  

आपकी और आपकी बेटी के बीच इतना खुलापन हो कि अगर उसके साथ कभी किसी तरह की दुर्घटना हो जाए, तो भी वह सबसे पहले आपको इस बारे में बताएं.  

इसी के साथ बिटिया को सही और गरिमापूर्ण तरीके से सजने-संवरने व्यक्तित्व को सवारने और विकसित करने संबंधी सभी आवश्यक जानकारी दें.


Web Title : MOTHER DAUGHTER RELATIONSHIP