मकर संक्रांति 2020 पंडित जी से जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

हिंदू धर्म में बहुत सारे त्योहार मनाए जाते हैं. पूरे साल त्योहारों का सिलसिला चलता रहता है.   नए वर्ष के साथ ही सबसे पहले जो त्योहार आता है वह है मकर संक्रांति.   यह त्योहार पूरे देश में अलग अलग नाम से मनाया जाता है.   अलग-अलग प्रदेशों में इस त्योहार को अलग-अलग नाम से भी पुकारा जाता है.   उत्तर भारत में यह त्योहार मकर संक्रांति के नाम से प्रसिद्ध है.   इस वर्ष 2020 में यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा.   पंडित दयानंद शास्त्री बताते हैं, हर वर्ष माघ कृष्ण पक्ष की उदया चतुर्थी तिथि को जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है तब मकर संक्रांति आती है.  

मकर संक्रांति कई मायनों में खास होती है.   मकर संक्रांति के बाद से हिंदू रीति रिवाज के अनुसार शुभ दिनों की शुरुआत होती है और इस दिन से शादी-ब्याह शुरू हो जाते हैं.   वहीं यह नई फसल कटने की खुशी में भी मनाया जाता है.   इस त्योहार को क्यों मनाया जाता है और इस वर्ष इस त्योहार को मनाने का शुभ मुहूर्त क्या है आइए पंडित जी से जानते हैं.   

शुभ मुहूर्त 

इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाया जाएगा.   इसकी बड़ी वजह है कि इस बार सूर्य देव 14 जनवरी की रात 2:08 बजे उत्तरायण में होंगे.   इसका अर्थ है कि सूर्य देव धनु राशि से निकलर का मकर राशि में प्रवेश करेंगे.   इसलिए सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण में आने पर 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा.  

यह पर्व 15 जनवरी को सुबह 7:21 मिनट पर पर शुरू होगा और शाम को 5:55 मिनट तक रहेगा.   ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री जी का कहना है, ‘मकर संक्रांति सूर्य देवता का पर्व है.   जब सूर्य ग्रह गोचरीय भ्रमण चाल चल कर धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, तब संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है. ’

इस दिन क्या करना चाहिए

शास्त्रों की माने तो दक्षिणायन को नकारात्मकता तथा उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है.   जब सूर्य अपनी दिशा बदलता है तो वह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है विज्ञान के लिहाज से भी यह दिन महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इससे मौसम और वातावरण पर असर पड़ता है.   इस खास दिन पर हिंदू धर्म में जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक कर्मों को करने का विशेष महत्व है.  

ऐसी धारणा है कि इस दिन किए गए दान से सौ गुना पुन: प्राप्त किया जा सकता है.   पंडित दयानंद शास्त्री की मानें तो इस दिन आपको गाय का घी, तिल और गरम कपड़ों का दान करना चाहिए.   ऐसा करने से आपको मोक्ष प्राप्त होता है.   

मकर संक्रांति कथा 

एक प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार भगवान भानुदेव यानी सूर्य के पुत्र शनिदेव इस दिन उनसे मिलने के लिए उनके लोग जाते हैं.   शास्त्रों के मुताबिक शनि देव मकर राशि के स्वामी हैं.   यह भी बड़ी वजह है कि इस पर्व को मकर संक्रांति कहा गया है.   

अलग-अलग नाम से प्रचलित

मकर संक्रांति का त्योहार देश के हर कोने हर राज्य में मनाया जाता है.   मगर इसे लोग अलग-अलग नाम और अंदाज में मनाते हैं.   तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाया जाता है जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल ´संक्रान्ति´ कहा जाता है.  

मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व हिमाचल, हरियाणा तथा पंजाब में यह त्योहार लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है.   इस अवसर पर लोग मूंगफली, तिल की गजक, रेवडि़यां आदि आपस में बांटकर खुशियां मनाते हैं.  

Web Title : MAKAR SANKRANTI 2020 LEARN FROM PANDIT JI SHUBH MUHURAT, IMPORTANCE AND POOJA METHOD

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