सुंदरकांड पाठ करने से बनते हैं बिगड़े काम, मिलेंगे कई अद्भुत फायदे

हनुमान जी को सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता माना जाता हैं. इसलिए इनसे जुड़ा कोई भी पाठ अन्य किसी भी पाठ की तुलना में अधिक शक्तिशाली होता है. कहा जाता है कि हनुमान जी को प्रसन्‍न करने का सबसे अच्‍छा उपाय, हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करना है. इन दो में से किसी भी एक का पाठ पूरी श्रद्धा से करने से बजरंग बली प्रसन्‍न होकर अपने भक्तों की मनोकामनाओं को जल्‍द पूरा करते हैं. सुंदरकांड पाठ की सबसे खास बात यह है कि इससे ना सिर्फ हनुमानजी का आशीर्वाद मिलता है बल्कि भगवान श्रीराम का भी आर्शीवाद प्राप्त होता है. क्या आप जानते हैं कि सुंदरकांड के पाठ करने से क्या फायदे होते हैं और क्या है इसका धार्मिक महत्व? अगर नहीं तो आइए जानें- 

सुंदरकांड नाम कैसे पड़ा?

श्री रामचरितमानस में 7 अध्याय है. इन 7 अध्यायों का तुलसीदास ने बखूबी वर्णन किया है. हनुमान के दिव्य और संकटमोचक चरित्र का दर्शन श्री रामचरितमानस के सुंदरकांड पाठ में है. श्री रामचरितमानस का पंचम सोपान सुंदरकांड है. इस सोपान में 03 श्लोक, 02 छंद, 58 चौपाई, 60 दोहे और लगभग 6241 शब्द है. तुलसीदास जी ने पांचवे अध्याय का नाम सुंदरकांड रखा है.

सुंदरकांड पाठ की हर एक लाइन और उससे जुड़ा अर्थ, भक्त को जीवन में कभी ना हार मानने वाली सीख देता है. जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि यह पाठ आत्मविश्वास को जगाता है और उन्हें सफलता के और करीब ले जाता है. शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड का पाठ किया जाता है क्‍योंकि शुभ कार्यों की शुरुआत से पहले सुंदरकांड का पाठ करने का विशेष महत्व माना गया है.   

सुंदरकांड में हनुमान जी द्वारा किये गये महान कार्यों का वर्णन किया गया है. रामायण पाठ में सुंदरकांड के पाठ का विशेष महत्व माना जाता है. सुंदरकांड में हनुमान का लंका प्रस्थान, लंका दहन से लंका से वापसी तक के घटनाक्रम हैं. जी हां जब हनुमान जी समुद्र लांघकर माता सीता की खोज में लंका पहुंचे, वहां सीता माता की खोज की, लंका को जलाया, सीता माता का संदेश लेकर भगवान श्रीराम के पास पहुंचे, यह एक भक्त की जीत का कांड है जो अपनी इच्छा शक्ति के बल पर इतना बड़ा चमत्कार कर सकता है.  

रामायण में सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है. जहां एक ओर संपूर्ण रामायण कथा श्रीराम के गुणों और पुरुषार्थ को दर्शाती है, वहीं सुंदरकांड एकमात्र ऐसा है, जो सिर्फ हनुमानजी की शक्ति और विजय का कांड है. यह अतिसुंदर है. क्‍या सच में सुंदरकांड पढ़ना इतना फायदेमंद होता है, इस बारे में जानने के लिए हमने पंडित भानुप्रताप नारायण मिश्र जी से कुछ प्रश्‍न किए. तब उन्‍होंने हमारे इन प्रश्‍नों के उत्तर में बताया. आइए हमारे साथ आप भी इसके बारे में विस्‍तार से जानें.

सुंदरकांड पाठ करने से क्‍या फायदे है?   

पंडित भानुप्रताप नारायण मिश्र जी का कहना है कि ´´सुंदरकांड का पाठ करने से संकटों का नाश होता है. सकारात्‍मक विचार पैदा होते है. मन में उत्‍साह बना रहता है. अच्‍छी भावनाएं आने लगती है. भय से मुक्ति मिलती है. सुंदरकांड का पाठ आपका कभी हार ना मानने की शक्ति देता है. इसके अलावा हनुमान जी ने जो लीलाएं की है उससे शत्रुओं का नाश होता है. ´´

सुंदरकांड पाठ कैसे करना चाहिए?

हमने पंडित जी से पूछा कि सुंदरकांड का पाठ करने में बहुत ज्‍यादा समय लगता है, इसलिए कई लोग इसे अध्‍याय के रूप में पढ़ते हैं. जैसे एक अध्‍याय आज पढ़ लिया और दूसरा कल. क्‍या यह सुंदरकांड पढ़ने का सही तरीका है. तब उन्‍होंने हमें बताया, माना कि सुंदरकांड पढ़ने में 40 मिनट का समय लगता है. लेकिन इसे एक बार में पूरा ही पढ़ना चाहिए. अगर आप इसे टुकड़ों में पढ़ेंगे तो इसका पूरा लाभ आपको नहीं मिल पाएगा.

सुंदरकांड पाठ कब करना चाहिए?   

हमारा अगला सवाल यह था कि सुंदरकांड का पाठ सुबह या शाम किस समय करना चाहिए. तब उन्‍होंने बताया कि ´´धर्म का कोई भी काम पूरी निष्‍ठा से करें. भागते हुए न करें. मन आपका कहीं ओर है और कर कुछ ओर रहे है. उसमें आपको पूरा फल नहीं मिलेगा. इसके अलावा सुंदरकांड का पाठ आपको ब्रह्मुहूर्त में ही करना चाहिए. इसका आपको अंततः  लाभ मिलता है.  

सुंदरकांड पाठ मंगलवार या शनिवार कब करना चाहिए?   

इसके जवाब में पंडित जी ने बताया कि ´´सुंदरकांड का पाठ आप कभी भी कर सकते है. आप इसे रोज कर सकती है. धर्म का काम आप कभी भी कर सकते है. इसे तत्‍काल करने से आपकी ऊर्जा भी बढ़ती है. ´´ 

अगर आप भी ये सारे फायदे पाना चाहते हैं तो सुंदरकांड का पाठ करें.  


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