नहाय-खाय के साथ इस दिन से शुरू होगा चार दिवसीय महापर्व छठ

Chhath Puja 2019 : दीपावली के बाद नहाय-खाय के साथ 31 अक्टूबर से चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरुआत हो जाएगी. 31 अक्टूबर से शुरू होने वाला यह महापर्व तीन नवंबर को सुबह का अर्घ्य देकर पूरा होगा. एक नवंबर को खरना का आयोजन होगा, वहीं 2 नवंबर को शाम का अर्घ्य दिया जाएगा और आखिरी दिन यानी 3 नवंबर को सुबह का अर्घ्य दिया जाएगा. बिहार और यूपी के साथ ही उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में यह त्योहार प्रमुखता से मनाया जाता है. इसके लिए विशेष तैयारियां की गई हैं. रेलवे ने स्पेशल ट्रेनें भी चलाई हैं. जानिए छठा महापर्व 2019 से जुड़ी बड़ी बातें -

छठा महापर्व 2019 की तारीखें
31 अक्टूबर : नहाय-खाय

1 नवंबरः खरना

2 नवंबरः शाम का अर्घ्य

3 नवंबरः सुबह का अर्घ्य

नहाय-खाय: छठ पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी से शुरू होता है. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान करने के बाद नए कपड़े पहनती हैं, श्रृंगार करती हैं. इसके बाद शाकाहारी भोजन बनता है और व्रत रखने वाली महिला के व्रत खोलने के बाद परिवार के बाद सदस्य भोजन करते हैं.

खरना: इस दिन भी महिलाएं और पुरुष व्रत रखते हैं. इसे छठी का व्रत कहा जाता है. शाम के समय प्रसाद बनाया जाता है, जिसमें मुख्यरूप से खीर और घी-आटे से बने पकवान शामिल होते हैं. पूजा में फलों को खासतौर पर शामिल किया जाता है.

शाम का अर्घ्य: छठ महापर्व के तीसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. इसके बाद शाम के समय पूजा होती है. बड़ी संख्या में महिलाएं नदी या तालाब में खड़ेकर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. ढलते सूरज को पहले अर्घ्य देने के पीछे गहरा सामाजिक संदेश है, जो कहता है कि समाज के अंतिम व्यक्ति का पहले सम्मान किया जाए.

सुबह का अर्घ्य: यह छठ पर्व का आखिरी दिन होता है. सुबह उगते सूर्य को जल चढ़ाया जाता है. अर्घ्य के बाद परिवार की सुख-समृद्धि के लिए कोशी पूजन किया जाता है. इसमें 12 या 24 दीपक जलाने का विधान है. इसके साथ मिट्टी के बड़े दीपक में ऋतुफल भरे जाते हैं. यह पूजन पुत्र प्राप्ति तथा परिवार की खुशाहाली और समृद्धि के लिए किया जाता है.

2 नवंबर

सूर्योदय – 06:33 सूर्यास्त – 17:35

षष्ठी तिथि आरंभ – 00:51 (2 नवंबर 2019)

षष्ठी तिथि समाप्त – 01:31 (3 नवंबर 2019)

छठ पूजा का पौराणिक महत्व


छठ महापर्व को लेकर दो तरह की मान्याता हैं. पहली के अनुसार, शास्त्रों में लिखा है कि, रावण का सर्वनाश करने के बाद भगवान राम ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी को रामराज्य की स्थापना की थी. इस दिन प्रभु श्रीराम और माता सीता ने व्रत रखा था और सूर्य की आराधना की. सप्तमी को सूर्योदय के समय विशेष अनुष्ठान कर सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त किया था.

एक अन्य मान्यता है कि छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी. सर्वप्रथम सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की उपासन शुरू की. कर्ण भगवान सूर्य का परम भक्त थे. वह रोज घंटों पानी में खड़े होकर सुबह-शाम सूर्यदेव को जल चढ़ाते थे. कहा जाता है कि सूर्य की कृपा से ही कर्ण महान योद्धा बने थे. यही कारण है कि आज भी छठ महापर्व के दौरान सूर्य को अर्घ्य दान दिया जाता है.

Web Title : THE FOUR DAY MAHAPARVA CHHATH WILL BEGIN FROM THIS DAY WITH BATHING.

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