हिंदू धर्म में बहुत सारे तीज त्योहार और व्रतों का महत्व है. इनमें से ही एकादशी के व्रत को बहुत ही शुभ और पवित्र माना गया है. हर वर्ष में 24 एकादशी आती हैं. हर महीने दो बार एकादशी का व्रत रखा जाता है. हर एकादशी का अपना महत्व है मगर, माघ महीने में पड़ने वाली जया एकादशी का अलग ही महत्व है. पद्म पुराण में जया एकादशी व्रत का उल्लेख किया गया है. जो मनुष्य यह व्रत रखता है वह जीवन मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है. पंडित जी का कहना है कि, आपने जीवन में जाने अनजाने में जो पाप किए हैं आपको इस व्रत के द्वारा उनसे मुक्ति मिल जाती है.
इस एकादशी को इस लिए भी खास माना गया है क्योंकि इस दिन व्रत रखने से मनुष्य को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ती होती है. अगर आप भी इस बार व्रत रखना चाहती हैं तो पंडित जी से जानें जया एकादशी का व्रत करने की विधि और शुभ मुहूर्त.
शुभ मुहूर्त
जया एकदशी वर्ष 2020 में 5 फरवरी के दिन मनाई जाएगी. यह 4 फरवरी को रात 9:49 पर शुरू होगी और 5 फरवरी को रात 9:30 पर खत्म हो जाएगी. आपको व्रत की शुरुआत भी शुभ मुहूर्त के साथ शुरू करनी होगी.
जया एकादशी व्रत का महत्व
सभी एकादशियों में जया एकादशी को सबसे श्रेष्ठ माना गया है. भगवान श्री कृष्ण ने इस एकादशी व्रत का महत्व सबसे पहले धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था. ऐसा कहा गया है कि जहां भाग्य भी मनुष्य का साथ नहीं देता वहां जया एकादशी में रखा गया व्रत देता है. इस दिन से जुड़ी एक कथा प्रचलित है. भगवान इंद्र के नंदन वन में एक बार उत्सव मनाया जा रहा था. इस उत्सव में सभी देवतागण मौजूद थे. उत्सव के दौराना गायन और नृत्य का सभी आनंद ले रहे थे. तब ही नृत्य कर रही पुष्यवती की नजर गाना गा रहे माल्यवन पर पड़ी.
पुष्यवती उससे मोहित हो गई और माल्यवन को रिझाने के लिए नृत्य करने लगी. माल्यवन भी पुष्यवती से मोहित हो गया और उसके सुर खराब होने लगे. इस बात से नाराज हो देवराज इंद्र ने पुष्यवती और माल्यवन को दंड दिया और उन्हें पिशाच बना दिया. दोनों ही दंड मिलने के बाद हिमालय में भटकने लगे. एक दिन एकादशी के दिन दोनों ने भगवान विष्णु का व्रत रखा. इस व्रत के फल स्वरूप उन्हें पिशाच की योनि से मुक्ति मिली और मोक्ष की प्राप्ती हुई. तब से इस दिन को जय एकादशी के रूप में मनाया जाने लगा.
कैसे रखें व्रत
इस दिन आपको गन्ने का रस जरूर पीना चाहिए. आप केवल गन्ने का रस पीकर भी यह व्रत कर सकते हैं. आपको जया एकादशी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान श्री विष्णु के व्रत का संकल्प लेना होता है. इसके बाद आपको धूप चंदन, फल, फूल के साथ भगवान को पंचामृत का भोग लगाना होता है. इसके बाद आपको पूरे दिन उपवास रखना होगा. शाम को ब्राहमणों को भोजन करा कर खुद भी शाकाहारी भोजन करना चाहिए. ऐसा करने से आपका व्रत पूरा होगा.