शरद ऋतु के बाद बसंत की शुरुआत को पर्व के रूप में मनाया जाता है. यह हर वर्ष माघ के महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी से शुरू होता है. इस दिन को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष 30 जनवरी को बसंत पंचमी मनाई जा रही है. कई जगह बसंत पंचमी को श्री पंचमी, वसंत पंचमी और सरस्वती पंचमी के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था और इसलिए इस दिन उनकी पूजा की जाती है.
मां सरस्वती की आराधना करने वाले भक्त तो बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनते ही है, अन्य लोगों को भी इस दिन पीले रंग में देखा जा सकता है. बसंत पंचमी के दिन पीला रंग पहनना शुभ माना जाता है. इस दिन पीले रंग का इतना महत्व क्यों है यह बता रहे है पंडित भानु प्रताप नारायण मिश्र जो एक जाने-माने ज्योतिषाचार्य हैं.
पंडित भानु प्रताप नारायण मिश्र जी का कहना हैं कि हिंदू धर्म में पीले रंग को शुभ माना जाता है. पीला रंग शुद्ध और सात्विक प्रवृत्ति का प्रतीक माना जाता है. यह सादगी और निर्मलता को भी दर्शाता है. साथ ही पीला रंग बृहस्पति का परिचायक भी है और बृहस्पति को भी ज्ञान का देवता माना जाता है और सरस्वती तो ज्ञान की देवी हैं ही. इसलिए इस दिन पीले रंग के कपड़े पहने जाते हैं. इसके अलावा बसंत पंचमी के दिन सूर्य उत्तरायण होता है. जिसकी पीली किरणें इस बात का प्रतीक है कि सूर्य की तरह गंभीर और प्रखर बनना चाहिए. साथ ही बसंती पंचमी का नियम है कि वह सुबह सूर्य उदय के समय होनी चाहिए.
इसके अलावा यह भी मान्यता है कि इस रंग से आप डिप्रेशन को दूर कर सकती है. यह आपका उत्साह बढ़ाता है और ब्रेन को एक्टिव करता है. यह आत्मविश्वास भी बढ़ाता है. जब हम पीले रंग के कपड़े पहनते हैं तो सूर्य की किरणें प्रत्यक्ष रूप हमारे दिमाग पर असर डालती हैं.
बसंत को ऋतुओं का राजा माना जाता है. बसंत पंचमी के दिन से कड़कड़ाती ठंड खत्म होकर सुहावना मौसम होने लगता है. हर तरफ पेड़-पौधों पर नई पत्तियां, फूल और कलियां खिलने लग जाती हैं. और सरसों की फसल की वजह से धरती पीली नजर आने लगती है. इसलिए लोग बसंत पंचमी का स्वागत पीले कपड़े पहनकर करते हैं. इतना ही नहीं बसंत का पीला रंग समृद्धि, एनर्जी, प्रकाश और आशावाद का प्रतीक है. बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का प्रसाद और खाना भी पीले रंग का ही बनता है.