माता के इस धाम में अपने आप खली हो जाते है शराब के प्याले

मंदिर के आसपास कहीं से भी माता इसे स्वीकार लेती हैं. ऐसी मान्यता है कि जिसका प्याला पूरा खाली हो जाए, उसकी मन्नत पूरी होना तय है.

नागदा/इंदौर. खाचरौद के भीकमपुर के जंगल में प्राचीन कालिका माता मंदिर किसी चमत्कार से कम नहीं है. यहां पर माता को शराब का भोग लगता है, लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि शराब से भरा प्याला माता के पास रखना जरूरी नहीं है. मंदिर के आसपास कहीं से भी माता इसे स्वीकार लेती हैं. ऐसी मान्यता है कि जिसका प्याला पूरा खाली हो जाए, उसकी मन्नत जल्दी पूरी होना तय है.

- मंदिर में तीन साल से सेवा कर रहे जूना अखाड़े के नागा साधु चांदगिरि ने बताया माता उसी भक्त का पूरा प्याला ग्रहण करती है, जो सब ओर से परेशान होकर उसकी शरण में आता है.

- हालांकि माता हर भक्त का थोड़ा-थोड़ा भोग जरूर स्वीकारती हैं. परिसर में ही भैरव प्रतिमा भी है. यहां भी मदिरा का प्याला खाली होता है.

- चांदगिरि महाराज के अनुसार वे तीन साल पहले जंगल में स्थित इस मंदिर में आए थे, तब यहां सिर्फ ओटला ही था. बाद में जनसहयोग से ग्रामीणों ने मंदिर बनवाया.

- हाल ही में 12 जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाएं एक ही गड्‌ढे से मिलने के बाद सुर्खियाें में अाए भीकमपुर में और भी कई ऐसे रहस्यमयी स्थल है, जिनकी पड़ताल करना जरूरी है.

प्याला कहीं भी रखो फिर कम होगी शराब

- आश्चर्यजनक यह है कि माता को भोग के रूप में शराब का प्याला किसी निश्चित स्थान या प्रतिमा के पास रखना जरूरी नहीं है.

- मंदिर के बाहर ओटले या आसपास कहीं भी प्याला रखा जाए तो उसमें शराब कम हो जाती है. ग्रामीण इसे माता द्वारा भोग स्वीकारना बताते हैं.

- एक बड़ा राज यह भी है कि शराब के कई प्याले भरे होने के बाद भी इनसे दुर्गंध नहीं आती, जबकि खराब देशी होती है और मंदिर दोपहर व रात में बंद हो जाता है.

इमली के पांच विशाल वृक्ष, ऐसे और कहीं नहीं

- मंदिर के पास पांच इमली के बड़े पेड़ हैं. ये इतने विशाल और घने हैं कि इसके नीचे से आसमान भी बमुश्किल नजर आता है.

- ग्रामीणों के अनुसार इमली के इतने विशाल पेड़ उन्होंने और कहीं नहीं देखे हैं. इससे बड़ा रहस्य ये कि पांचों पेड़ों की इमली का स्वाद भी अलग-अलग है.

- एक इमली का रंग तो माता को चढ़ने वाले कुमकुम (गहरा लाल) की तरह है.

नौ माह से बंद गिट्‌टी मशीन हो गई चालू

- खाचरौद के कांग्रेस नेता सूर्यप्रकाश शर्मा ने बताया 9 माह पूर्व गिट्‌टी मशीन बंद हो गई थी. काफी प्रयासों के बाद भी उसमें सुधार नहीं हो रहा था.

- चांदगिरि महाराज से उन्होंने समस्या कही तो उन्होंने कहा एक प्याला भेज दो, समस्या का निदान हो जाएगा. इसके बाद मशीन चालू हो गई.

- शर्मा के अनुसार हो सकता हो इत्तफाक हो, पर मशीन चालू होने के बाद मंदिर के छत निर्माण में सहयोग व शिखर की स्थापना कराई है.

शोध का विषय है

- एक निश्चित तापमान पर वाष्पन से ऐसा संभव है, लेकिन ऐसा हर मौसम में हो रहा है तो ये आगे का विज्ञान है. जिस पर शोध के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. धर्मेंद्र गांधी, रसायन शास्त्री, एबीएचएस


Web Title : THE GOBLET OF WINE ITSELF GETS EMPTY IN THIS TEMPLE