राधा की मृत्यु पर श्रीकृष्ण ने क्यों तोड़ दी सबसे प्रिय बांसुरी?


इस साल 6 सितंबर को राधा अष्टमी मनाई जाएगी. जब भी प्रेम की मिसाल दी जाती है तो श्रीकृष्ण-राधा के प्रेम की मिसाल सबसे पहले आती है. राधा जी के जन्म के बारे में तो सब जानते हैं आज हम जानेंगे राधा जी कि मृत्यु का रहस्य.  

राधा अष्टमी, राधा जी के जन्म के उपलक्ष में मनाई जाती है, श्रीकृष्ण भगवान के जन्म के 15 दिन बाद ही राधा जी का जन्म हुआ था. मान्यता है कि राधा अष्टमी पर व्रत करना जरूरी होता क्योंकि तभी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत पूर्ण माना जाता हैं. राधा जी के जन्म के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन क्या आपको ये पता है कि राधा जी कि मृत्यु कैसे हुई थी.

राधा जी कि मृत्यु से दुखी भगवान कृष्ण ने अपनी बांसुरी को तोड़ दिया था, लेकिन इस बांसुरी को तोड़ने के पीछे भी एक राज है. भगवान कृष्ण  और राधा जी के अटूट संबंध को जोड़ने वाली बांसुरी ही रही थी. श्रीकृष्ण को बांसुरी और राधा अत्याधिक प्रिय थी और राधा को भी बांसुरी और कृष्ण से प्रेम था.

बांसुरी बजाते ही राधा भगवान श्री कृष्ण की ओर खिंची चली आती थीं. राधा के बांसुरी प्रेम के कारण ही भगवान श्रीकृष्ण इसे हमेशा अपने साथ ही रखते थे. भगवान श्री कृष्ण और राधा एक दूसरे से मिल नहीं पाएं लेकिन इस बांसुरी ने उन दोनों को एक दूसरे से बांधे रखा था.  

भगवान श्री कृष्ण कंस का वध करने के लिए मथुरा गए थे तब पहली बार राधा जी से वो अलग हुए. कंस के वध से पहले वह राधाजी से मिलने गए थे और वह राधा जी के मन में उस वक्त उमड़ रही सारी बातों को आसानी से पढ़ लिए और उन्हें आश्वासन दिया कि वह अपना कार्य कर जल्दी ही लौटेंगे, लेकिन श्री कृष्ण इसके बाद राधा से मिलने लौट नहीं पाए. उसके बाद भगवान श्री कृष्ण का विवाह रुक्मिनी के साथ हो गया,क्योंकि रुक्मिनी ने भी भगवान श्री कृष्ण को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी.

भगवान श्री कृष्ण के नहीं लौटने से राधा गुमसुम हो गईं थीं. राधा के माता पिता ने जबरदस्ती उनका विवाह उनके वियोग को देखते हुए किसी और से करा दिया था. विवाह के बाद भले ही राधा जी ने अपने परिवार में रमना पड़ा लेकिन वह श्रीकृष्ण को भूल नहीं पाईं और उनके नाम का जाप हमेशा ही करती रहती थीं.  

वियोग जब चरम पर पहुंचा तो राधारानी एक बार रात के अंधेरें में घर से भागकर द्वारिका नगरी पहुंच गई. राधा को वहां देखते हीं भगवान श्री कृष्ण आनंदित हो उठें और दोनों एक दूसरे को बस देखते ही रहे. राधा को द्वारिका में कोई नहीं जानता था, इसलिए राधा ने भगवान से अनुरोध किया कि वह अपने राजमहल में उन्हें देविका के रूप में रख लें. भगवान ने उनकी बात मान ली और राधा जी महल के कामों को देखने लगीं और साथ ही श्रीकृष्ण दर्शन कर के ही वह खुश रहने लगीं.  

राधा जी भगवान श्री कृष्ण के दशर्न सालों साल करती रहीं लेकिन अचानक से उनके मन में भगवान से दूर होने का दर्द फिर से उमड़ने लगा. उनकी उम्र भी बढ़ती जा रही थी और भगवान से दूर होने का डर भी. एक रात ऐसे ही डर इतना उनके ऊपर हावी हुआ कि वह महल छोड़ कर एक अनजान रास्ते पर रात के कूप अंधेरे में निकल पड़ीं.

राधा को मृत्यु करीब दिखने लगी तो वह भगवान कृष्ण को याद करने लगीं. भगवान कृष्ण को राधा की आवाज आई और वह वहां उनके सामने प्रकट हो गए. राधा ने भगवान से बांसुरी सुनाने की प्रार्थना की और भगवान उन्हें बांसुरी सुनाने लगे ओर राधारानी धुन सुनते-सुनते ही चीर निद्रा में सो गईं. राधा जी के प्राण त्यागते ही श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी को तोड़कर फेंक दिया.  

Web Title : WHY DID SHRI KRISHNA BREAK THE MOST BELOVED FLUTE ON RADHAS DEATH?

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