मानव खून के काले कारोबार का पुलिस ने किया भंडाफोड़

पटना. पटना के जक्कनपुर थाने पोस्टल पार्क खासमहाल इलाका स्थित एक छोटे से कमरे में चल रहे मानव खून के काले कारोबार का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है. जक्कनपुर पुलिस ने शनिवार को छापा मारकर इस गिरोह के सरगना संतोष कुमार और एजेंट सोनू को गिरफ्तार कर लिया. साथ ही खून से भरे चार ब्लड बैग भी बरामद किए गए हैं. छह महीने से दोनों यहां रहकर खून की खरीद-बिक्री कर रहे थे.

जक्कनपुर थानेदार मुकेश कुमार वर्मा ने बताया कि प्रथमदृष्टया पूछताछ में यह बात सामने आयी है कि दोनों के तार कई निजी अस्पतालों से जुड़े हैं. छापे के दौरान कई डोनर भी पकड़े गए, जिन्हें पैसे का लालच देकर खून निकलवाने लाया गया था. दूसरी ओर पुलिस मानव खून की खरीद-बिक्री में शामिल दूसरे लोगों की तलाश में अलग-अलग जगहों पर छापे मार रही है.  

एक की जगह दो यूनिट निकाल लेते थे खून  

खून की खरीद-बिक्री का धंधा करने वाले एक यूनिट खून निकालने की बात कहकर डोनरों को कमरे तक लाते थे. फिर धोखे से एक की जगह दो यूनिट खून निकाल लेते थे और उन्हें भनक तक नहीं लग पाती थी. खून लेने के तुरंत बाद सरगना संतोष डोनर को आयरन कैप्सूल खिला देता था. फिर कुछ ही दिनों बाद वह डोनर दोबारा खून देने पहुंच जाता था. कई बार डोनरों की तबीयत तक बिगड़ जाती थी.

बिना जांचे खून खरीद लेते थे अस्पताल मालिक 

कुछ निजी अस्पतालों के मालिक बिना जांच ही ऐसे लोगों से कम दाम पर खून खरीद लेते थे. उनकी साठगांठ संतोष और सोनू के साथ थी. दोनों रोज अस्पतालों में खून की सप्लाई करते थे. सूत्रों के मुताबिक पुलिस टीम उन अस्पतालकर्मियों की तलाश कर रही है, जो अक्सर सोनू और संतोष से मिलने यहां आते थे. जिन निजी अस्पतालों में खून की खरीद-बिक्री करने वाला गैंग सक्रिय था, वहां भी कार्रवाई हो सकती है.  

एक हजार डोनर और 11 सौ एजेंट को मिलते थे 

खून खरीदने वाला संतोष डोनर को एक हजार रुपये तुरंत दे दिया करता था. सोनू भी पहले ब्लड डोनर था, जो बाद में संतोष के साथ जुड़ गया. वह खून देने वालों को रुपये का लालच देकर अपने अड्डे तक लाता था. एक डोनर को लाने के बदले उसे कमीशन के रूप में 11 सौ रुपये मिलते थे. वहीं, संतोष को एक यूनिट ब्लड के बदले 22 सौ रुपये का मुनाफा होता था.  

छोटे से कमरे में चल रहा था खेल 

जिस कमरे में खून की खरीद-बिक्री का खेल चल रहा था वह बेहद छोटा है. उसमें संक्रमण का खतरा भी हो सकता है. सारे नियम-कानून को ताक पर रखकर खून निकाले जाते थे. खास बात यह है कि ब्लड बैग तक का इंतजाम सरगना ने कर रखा था, जबकि ब्लड बैग आम आदमी को देने की मनाही है. उसे लाइसेंसी ब्लड बैंक ही ले सकता है.  

इस गैंग को चिह्नित कर पुलिस आगे की कार्रवाई कर रही है. सह भी पता लगाया जा रहा है कि और कौन लोग खून की खरी-बिक्री के धंधे में शामिल थे. पुख्ता सबूत जुटाने के बाद पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी.  

- उपेंद्र शर्मा, एसएसपी)

Web Title : BLACK HUMAN BLOOD BUSINESS BUSTED BY POLICE

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