गोरखपुर : यूपी सरकार इन दिनों शहरों/जिलों के नाम बदलने के लिए खूब चर्चित हो रही है. मायावती के बाद योगी आदित्यनाथ भी मुख्यमंत्री के रूप में कई शहरों के नाम बदल चुके हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शहरों के नाम बदलने में किन प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है. नाम बदलने के ऐलान के साथ ही किसी शहर का नाम नहीं बदलता बल्कि उसके लिए एक पूरी प्रक्रिया अपनायी जाती है.
बिना यह प्रक्रिया अपनाए कोई सरकार किसी भी शहर या जिले का नाम नहीं बदल सकती है. बाकायदा केंद्र सरकार ने इसके लिए एक गाइडलाइन जारी किया है. किसी भी राज्य का नाम बदलने के लिए भी सरकार को इसी प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है लेकिन इसके लिए केंद्र की सहमति जरूरी होती है. शहर का नाम बदलने से अधिक जटिल प्रक्रिया किसी राज्य का नाम बदलने में है.
इस तरह बदलते हैं शहर/जिले का नाम
किसी भी शहर या जिले का नाम बदलने के लिए सबसे पहले यह जरूरी है कि कोई विधायक या एमएलसी इसके लिए सरकार से मांग करे. बिना किसी विधायक की मांग पर सरकार आगे कदम नहीं बढ़ाती. विधायक जब इस बाबत कोई मांग करता है तो सरकार इस संबंध में जनता क्या चाहती है यह भी जानने की कोशिश करती है. प्रशासन नाम बदलने के संबंध में पूरा डिटेल मांगती है. शहर के नाम का इतिहास खंगलवाती है.
इसके बाद शहर/ जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाता है. कैबिनेट में प्रस्ताव पास होने के बाद शहर के बदले नाम पर मुहर लग जाती है. कैबिनेट में नाम बदलने का निर्णय पास होने के बाद फिर से नए नाम का गजट कराया जाता है.
गजट कराने के बाद सरकारी दस्तावेजों से नए नाम लिखे जाने की शुरूआत हो जाती है और इस तरह किसी शहर या जिले का नया नामकरण हो जाता है.