काशी में मोदी के खिलाफ कौन? चर्चा में कई नाम लेकिन पार्टियां मौन

बनारस की हवा में इन दिनों फगुनाहट है. लोकसभा चुनाव नजदीक है इसलिए देश की सबसे हाईप्रोफाइल सीट पर इस बयार में राजनीति भी घुल गई है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी इन दिनों काशी दौरे पर हैं.  

काशीवासी आश्वस्त हैं कि प्रधानमंत्री को बनारस से कोई हरा नहीं सकता, हालांकि नरेंद्र मोदी के खिलाफ उम्मीदवार कौन होगा इसे लेकर भी कौतूहल कम नहीं है.

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मोदी को हराना तो दूर की बात है, अगर टक्कर देने की भी कोशिश करनी है तो विपक्ष को संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर किसी कद्दावर हस्ती को खड़ा करना होगा. ऐसे 

उम्मीदवार के तौर पर सबसे ज्यादा चर्चा संकटमोचन मंदिर के महंत और आईआईटी बीएचयू के प्रोफेसर विशंभरनाथ मिश्र के नाम की है और उसकी वजह भी हैं.   

प्रोफेसर विशंभरनाथ मिश्र गंगापुत्र के नाम से प्रख्यात संकटमोचन मंदिर के दिवंगत महंत प्रो. वीरभद्र मिश्र के पुत्र हैं. वीरभद्र मिश्र की छवि एक ग्लोबल व्यक्तित्व के तौर पर रही है और बनारस के सामाजिक वर्ग 

में प्रो. विशंभरनाथ मिश्र एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व हैं. प्रो. विशंभरनाथ मिश्र ने aajtak. in से बातचीत में कहा, ´हम कोई राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं. लेकिन हमें सिस्टम से कोई परहेज भी नहीं. बनारस में कोई 

आफत या विपत्ति आएगी तो हमें आगे आना ही पड़ेगा. हम परंपराओं को जीने वाले लोग हैं. लेकिन पिछले कुछ समय से देश के कैरेक्टर को बदलने की बात की जा रही है. हमें बहुत खराब लगा जब कोई शिव 

को ही मुक्त करने की बात करने लगा. ´

प्रो. विशंभरनाथ मिश्र का मानना है कि जो सच बोलने की हिमाकत रखते हैं उनकी आवाज को बंद किया जा रहा है. वो कहते हैं कि ये कितनी बड़ी त्रासदी है हम डॉक्टर, इंजीनियर बनाते-बनाते लोगों को चौकीदार 

बनाने लगे. मतलब पूरा भारत चौकीदार बन जाए और जो ना बने वो चोर है? यह देश विचारों की विविधता से बना है, जो हमारे विचार से सहमत नहीं जरूरी नहीं कि वो हमारा दुश्मन हो. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 

खिलाफ मैदान में उतरने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यदि संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर उन्हें मौका मिलता है तो वे तैयार हैं.

लेकिन चंद्रशेखर आजाद के वाराणसी से चुनाव लड़ने को समाजवादी विचारक प्रो. दीपक मलिक टोकनिज्म मानते हैं. दीपक मलिक का कहना है कि समावेश और बहुलता में आपसी झगड़ा जरूर है लेकिन काशी में 

दोनों ही साथ रहते हैं. सह अस्तित्व की इस पंरपरा को कायम रखने की जरूरत है. दीपक मलिक ने कहा कि पहले तो यह तय होना चाहिए कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ सभी पार्टियां मिलकर एक कैंडीडेट दें. फिर 

बात आती है कि सबसे उपयुक्त उम्मीदवार होगा कौन.

संयुक्त विपक्ष की ओर इशारा करते हुए प्रो. गया सिंह, कविवर बिहारी का दोहा, ´कहलाने एकत बसत अहि मयूर, मृग बाघ, जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ-दाघ निदाघ´ का जिक्र करते हुए कहते हैं, जैसे भीषण गर्मी 

से बचने के लिए पेड़ के नीचे एक दूसरे के भोजन, मोर और सांप एक साथ बैठे हैं, हिरण और बाघ एक साथ बैठे हैं. उसी तरह आपसी द्वेष भुलाकर काशी रूपी तपोवन में आपसी द्वेष को भुलाकर सभी को साथ आना चाहिए.

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी आज काशी में ही हैं. प्रियंका गांधी के काशी दौरे को लेकर कांग्रेसियों में उत्साह है. काशीवासी इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोई नहीं हरा सकता, लेकिन उनके खिलाफ हुंकार कौन भरेगा ये जानने का उत्सुकता भी कम नहीं है.

Web Title : WHO WILL CHALLENGE PRIME MINISTER NARENDRA MODI FROM VARANASI

Post Tags: