अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से देश की अर्थव्यवस्था की हालत बेहद खराब हो गई है. खस्ताहाल अर्थव्यवस्था का असर दवाओं की कीमतों पर भी पड़ा है और इसमें जबरदस्त इजाफा हुआ है. इसकी वजह से कई जरूरी दवाएं आम जनता की पहुंच से दूर हो गई हैं. ईरान के स्वास्थ्य मंत्री सईद नमाकी ने पिछले सप्ताह कहा था कि कच्चे तेल के निर्यात में आई गिरावट से स्वास्थ्य मंत्रालय का बजट भी प्रभावित हुआ है.
अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर लगे प्रतिबंध की वजह से दूसरे देशों से संपर्क लगभग टूट गया है. ईरान को दूसरे मुल्कों से किसी तरह की वित्तीय मदद नहीं मिल पा रही क्योंकि बैंकिंग लेन-देन पर भी पाबंदी लगी है. इससे ईरान की समूची अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ गई है. अमेरिकी सरकार का हालांकि कहना है कि ईरान पर लगी पाबंदियों से दवाओं और मेडिकल उपकरणों को बाहर रखा गया है. नमाकी का कहना है कि यह अमेरिका का सफेद झूठ है.
अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर प्रतिबंध के कारण ईरानी मुद्रा रियाल की कीमत में जबरदस्त गिरावट आई है. 2015 में हुए परमाणु करार के वक्त अंतरराष्ट्रीय बाजार में जहां एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रियाल की कीमत 32 हजार थी, जो अब एक लाख 20 हजार हो गई है.