बीजिंग: एक तरफ युनाइटेड किंगडम में नए कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या हर दिन 30 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है. वहीं दूसरी तरफ कोरोना के मरीजों की इलाज केवल साधारण तरीके से किया जा रहा है. UK के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने घोषित किया कि इस मुश्किल समय में कोरोना के कम लक्षणों वाले मरीजों की जांच नहीं की जाएगी. इसके अलावा खांसी और बुखार जैसे लक्षणों वाले लोगों को घर में 7 दिनों के लिए आइसोलेशन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
बता दें कि UK की बोरिस सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार पैट्रिक वैलेंस ने कहा कि यदि अधिकांश लोगों थोड़े ही बीमारी हैं तो वे किसी प्रकार की सामूहिक प्रतिरक्षा का निर्माण कर सकते हैं. फ्रांस के प्रोफेसर जीन-स्टेफेन धेरसिन ने भी इस विचार का समर्थन किया है.
गौरतलब है कि UK में कुछ मेडिकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन ने सामूहिक प्रतिरक्षा के विचार का विरोध प्रकट किया है. 600 से अधिक UK के वैज्ञानिकों ने खुले पत्र जारी करके इसका विरोध किया है और 1 लाख से ज्यादा लोगों ने हस्ताक्षर करके UK की सरकार से सकारात्मक कदम उठाने की मांग की है.
अब जनता के विरोध के बाद UK के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने 16 मार्च को घोषित किया कि UK सीमित तौर पर रोकथाम कदम उठाएगा. यानी खांसी और बुखार जैसे लक्षणों वाले लोगों को घर में 14 दिनों के लिए आइसोलेशन में रखने की मांग की जाएगी. हालांकि UK में बड़े पैमाने होने वाली रैलियों को बंद नहीं किया गया है और स्कूलों को में भी छुट्टी करने का फैसला नहीं किया गया है.
बता दें कि विपक्षी के नेता जेरेमी कोर्बेन ने कहा, अगर महामारी का प्रकोप आए तो अस्पताल में गंभीर मरीजों को भर्ती करने में असमर्थ होगा क्योंकि UK ने इधर 10 सालों के लिए सार्वजनिक सेवा खर्च की कटौती की है. जिससे UK में मेडिकल से जुड़ी चीजों का अभाव पड़ने लगा है. 30 साल पहले की तुलना में UK में अभी अस्पतालों में केवल 1. 5 लाख बिस्तर हैं और हजारों डॉक्टर और नर्स ड्यूटी पर नहीं हैं.