निर्मला सीतारमण बोलीं- जीएसटी में खामियां हैं, लेकिन अब यह एक कानून है

नई दिल्ली : मुझे खेद है कि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) आपकी संतुष्टि को पूरा नहीं कर पाया. ये बात केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की. उन्होंने शुक्रवार को पुणे में व्यवसायियों, उद्यमियों, सीए और अन्य लोगों से बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में ये बात कही.

उन्होंने कहा कि इस देश में लंबे समय के बाद संसद और सभी राज्यों में कई दलों ने एक साथ काम किया और अधिनियम के साथ आए. कुछ अनुभवों के आधार पर हम यह नहीं कह सकते हैं कि यह कैसा ढांचा है. दरअसल, उपस्थित लोगों में से एक ने जीएसटी पर चिंता जताई थी और वित्त मंत्री से सवाल किया था.

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि मेरी पहले दिन से यही कामना रही है कि जीएसटी आपकी संतुष्टि को पूरा करे, लेकिन मुझे खेद है कि जीएसटी आपकी संतुष्टि को पूरा नहीं कर पाया. यह संसद और सभी राज्य विधानसभाओं में पारित किया गया था. इसमें कुछ कमी हो सकती है. यह शायद आपको मुश्किलें दे सकता है. यह देश का ´कानून´ है. . . मैं आपसे अपील करती हूं कि हम मिलकर काम करें, ताकि हमारे पास बेहतर ढांचा हो.

दर्शकों में शामिल एक शख्स ने कॉस्ट अकाउंटेंट एसोसिएशन के साथ जुड़े होने का दावा करते हुए कहा कि हर कोई मानता है कि जीएसटी को गुड्स एंड सिंपल टैक्स होना चाहिए. हम व्यापार करने के उद्देश्य को जानते हैं. आप कानून की जटिलता को कम करना चाहते थे. उन्होंने कहा कि आप भी एक सुचारू प्रशासन चाहते हैं और सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए इच्छुक है.

उन्होंने आगे कहा कि अगर हमारी चिंताओं को कानून की संरचना को बदलने के बिना भी संबोधित किया जाता है, तो इससे बहुत अधिक बोझ कम हो जाएगा और हर कोई उस में खुश होगा. फिर इसे गुड्स एंड सिंपल टैक्स की संज्ञा दी जाएगी. उन्होंने कहा कि आज तक उद्योग, सलाहकार और लेखा परीक्षक सहित हर कोई सरकार को (जीएसटी के लिए) कोस रहा है.

वित्त मंत्री ने सवाल करने वाले शख्स को दिल्ली में मिलने और इस मुद्दे पर चर्चा करने का समय भी दिया है. बता दें कि 1 जुलाई, 2017 को पूरे देश में जीएसटी लागू किया गया था.

Web Title : NIRMALA SITHARAMAN BIDS THERE ARE LOOPHOLES IN GST, BUT NOW IT IS A LAW

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