राष्ट्रसंत जैन आचार्य श्री आनंद ऋषि जी मसा की 122 वीं जयंती पर 751 सामायिक और 51 एकाशन की आराधना

बालाघाट. राष्ट्रसंत आचार्य श्री आनंद ऋषि जी मसा के 122 वें जन्म जयंती समारोह पर स्थानक भवन में विराजित संत श्री शीतलराज जी मसा ने उनका गुणानुवाद करते हुए कहा कि आचार्य श्री प्रेम, वात्सल्य सद्भावना के प्रतीक थे. 13 वर्ष की आयु में दीक्षा लेकर 80 वर्ष तक संयम, पर्याय का पालन किया. ऐसे महापुरूषों के आदर्श को अपनाकर उनके जैसा दृढ़ सामायिक की साधना प्रतिदिन अवश्य करे.  

इस अवसर पर भक्तजनो ने 751 सामायिक की आराधना, 93 महिलाएं एवं 57 पुरूषों ने 5-5 सामायिक की आराधना की और 51 एकासन तप की आराधना भी संपन्न हुई. दोपहर को मंगलपाठ एवं रात्रि में प्रतिक्रमण की आराधना भक्तजनों ने शुक्रवार को गुरूदेव के जन्मदिन पर की.  

इस वर्ष चातुर्मास के लाभार्थी परिवार कमलादेवी पुत्र सोहन वैद्य एवं उषादेवी पुत्र श्रेयांस वैद्य ने लिया है और चातुर्मास की सभी आराधना उनके सहयोग से निरंतर चल रही है. बाहर से आने वाले अतिथियों की अगुवानी अध्यक्ष भागचंद नाहर, ट्रस्टी कैलाश चौरड़िया, सुभाष पगारिया, हीराचंद वैद्य, सुरेश बाघरेचा, डालचंद चौरडिया, रविन्द्र कोठारी, रामकुमार गुप्ता आदि भक्तजनो ने की.  इस अवसर पर जयपुर से गुरू भक्त परिवार भी उपस्थित रहा. कार्यक्रम का संचालन श्रीमती सोनल सिद्धार्थ बोथरा एवं पुरूष वर्ग में आशीष ललवानी एवं विजयराज भदानी के द्वारा की गई. चातुर्मास समिति के संयोजक अनिल वैद्य एवं कोषाध्यक्ष गौतम नाहर ने भोजन व्यवस्था का संचालन किया.


Web Title : 751 SAMAYIKS AND 51 AKASHANS TO BE WORSHIPPED ON THE 122ND BIRTH ANNIVERSARY OF RASHTRASANT JAIN ACHARYA SRI ANAND RISHI JI MASA