भारत मेश्राम ने देहदान करने का लिया संकल्प

बालाघाट. मौत के बाद नश्वर देह को परंपरानुसार या तो अग्नि दी जाती है या फिर दफनाया जाता है, लेकिन मरने के बाद ही देह किसी के काम आ सके, इस सोच को लेकर शहर के प्रतिष्ठित व्यवसायी हुकुमचंद वैद्य ने बहुत पहले अपनी मौत के बाद देहदान करने का संकल्प लिया था. जिसके अनुसार विगत दिनों उनकी मौत के बाद परिजनों ने एम्स रायपुर में उनकी देह का दान कर दिया. जिससे प्रेरणा लेकर पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने भी विगत दिनों शोकाकुल वैद्य परिवार से मिलने पहुंचने के बाद उन्होंने भी देहदान करने का संकल्प लिया. इसी कड़ी में अब भारत दिव्यांग विशेष विद्यालय के संचालक भारत मेश्राम ने भी देहदान करने का संकल्प लिया है.

देहदान करने का संकल्प ले चुके समाजसेवी भारत मेश्राम ने कहा कि विगत लंबे समय से उनके मन में देहदान करने का विचार चल रहा था. इस दौरान ही दिवंगत प्रेमचंद वैद्य के देहदान करने और पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन के देहदान करने के संकल्प से प्रेरणा लेकर उन्होंने भी देहदान करने का संकल्प लेकर देहदान की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है.  

भारत मेश्राम ने देहदान के संकल्प के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए तथागत बुद्ध के प्रेरक प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि तथागत बुद्ध ने अपने परमशिष्य ही नहीं बल्कि मानसपुत्र आनंद से कहा था कि तुम इतने चितिंत क्यो हो. आनंद ने बड़े ही विनम्रता से बताया कि मैं इसलिए चितिंत हुॅं कि आपके महापरिनिर्वाण के बाद आपका वारिस कौन होगा. जिसका जवाब देते हुए तथागत बुद्ध ने कहा कि जो मेरे विचारों को आगे बढ़ायेगा, वही मेरा वारिस होगा, मानव-मानव एक समान है, कोई बड़ा या छोटा नहीं है, मानवता ही सर्वोत्तम और सर्वोच्च है, यही विचार दुनिया में मंगल करता है, इसलिए मैने सबके मंगल की कामना किया, जो भी इस विचार को आगे बढ़ायेगा, वहीं मेरा वारिस होगा. तथागत बुद्ध ने आनंद को समझाते हुए कहा कि मैं ईश्वरपुत्र नहीं बल्कि मानवपुत्र हुॅं, इसलिए मानवता मेरे लिए आदर्शो का मूल है, कोई एक मनुष्य, दुनिया के किसी एक मनुष्य के सर्वोत्तम हितों की रक्षा करें, इससे दुनिया में बड़ा कोई काम नहीं है, अंतिम समय में साथ कुछ नहीं जाता है, आसक्ति से विरक्त मनुष्य अधिक संतुष्ट रहता है, वह अपने संकल्प से विचलित नहीं होता और अंतिम सांस तक मैं किसी के काम आ सकु, यही विचार करता है. समाजसेवी भारत मेश्राम ने कहा कि तथागत बुद्ध के इस प्रेरक प्रसंग और देहदान के संकल्पों से प्रेरणा लेकर उन्होंने देहदान करने का निर्णय लिया है. जिसको लेकर उन्होंने देहदान करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है.  

बालाघाट दानवीरों का जिला है, यहां दान देने वालों की कमी नहीं है, समाजसेवियों की इस जमीन ने कई ऐसे काम किये है, जो हमेशा याद किये जाते रहेंगे. जिसमें देहदान करने वाले दिवंगत हुकुमचंद वैद्य के बाद पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन और अब भारत मेश्राम ने देहदान करने का लिया है, जिसको लेकर सर्वत्र उनकी चर्चा है.

Web Title : BHARAT MESHAMS RESOLVE TO MAKE THE DAY