बाल श्रम कानून की उड़ रही धज्जियां, शादी समारोहों में लाईटिंग लेकर घूम रहे बच्चे

कटंगी. सरकारी महकमे बाल दिवस पर बच्चों के अधिकारों के लिए जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित करके उनके अधिकारों में बताते हैं और अगले दिन अखबारों में बड़ी-बड़ी फोटो प्रकाशित कराते हैं. वही अधिकारी एवं राजनेता जब छोटे-छोटे बच्चों को विवाह-शादियों में काम करते देखते हैं तो उनकी तरफ से नजरें फेर लेते हैं. बच्चों को काम करते देख उन्हें कोई बाल श्रम कानून याद नहीं आता.

ऐसा ही इन दिनों कटंगी में विवाह समारोह के दौरान निकलने वाली बारातों में देखने को मिल रहा है. जहां 14 वर्ष तक के बच्चों को सिर पर लाईटिंग का बोझ उठाए सड़क पर बारात के साथ चलते हुए देखा जा सकता है. मगर, ताजुब की बात है कि स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों का इस ओर ध्यान नहीं है. वहीं जो लोग इन बच्चों से मजदूरी करवा रहे है उनका तर्क है कि परिवार वाले बच्चों को भेज रहे है.

उल्लेखनीय हो कि आजकल शादियों का सीजन चल रहा है, इनमें बड़ी संख्या में छोटे बच्चों से काम कराया जा रहा है. विशेषकर कैटरिंग और लाईटिंग के कार्य में लगे छोटे-छोटे बच्चे हाथ में ट्रे लेकर लोगों को भोजन, स्नैक्स, पानी इत्यादि सर्व करते नजर आते हैं तो बारात में लाईटिंग पकड़ कर चलते हुए दिखाई देते है. गौर करने वाली बात तो यह है कि विवाह समारोह में आम आदमी से लेकर राजपत्रित अधिकारियों तक हर तबके के लोग शादी समारोहों में शिरकत करते हैं, लेकिन अपने सामने बाल श्रमिकों को कार्य करते देखकर भी उनमें इसके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं होती. सरकारी अधिकारी 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कराए जाने वाले काम को ही बाल श्रम मानते हैं. यदि इस पैमाने पर चला जाए तो भी जिले में ऐसे श्रमिकों की संख्या हजारों में है. इन श्रमिकों का न तो कहीं पर कोई रिकार्ड है और न ही उन्हें किसी प्रकार की कोई सुविधा मिलती है. श्रम मानकों के अनुसार वेतन और सुविधाएं देने का तो सवाल ही नहीं उठता क्योंकि वे असंगठित क्षेत्र के श्रमिक हैं. दरअसल, बाल श्रमिकों से काम करवाने की एक बड़ी वजह यह भी है कि व्यस्क व्यक्ति अधिक मेहनताना मांगता है और वहीं बच्चे साधारण रकम में भी वहीं काम पूरी ईमानदारी से करते है.


Web Title : CHILD LABOUR LAW FLOUTED, CHILDREN ROAMING AROUND WITH LIGHTS AT WEDDING CEREMONIES