ओबीसी आरक्षण के आधार पर चुनाव का, भाजपा का दृष्टिकोण स्पष्ट-बिसेन,माननीय न्यायालय के फैसले पर टिप्पणी से बचे आयोग अध्यक्ष

बालाघाट. 10 मई को स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर आये फैसले के बाद 

मध्य प्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव कराने का रास्ता अब साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को चुनाव कराने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि 5 साल में चुनाव करवाना सरकार की संवैधानिक जिम्‍मेदारी है. अदालत ने 2 हफ्ते में चुनाव की अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि ओबीसी आरक्षण के लिए तय शर्तों को पूरा किए बिना आरक्षण नहीं मिल सकता. अभी सिर्फ एससी-एसटी आरक्षण के साथ ही चुनाव कराने होंगें. पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण के मामले में प्रदेश की बीजेपी सरकार की रिपोर्ट को कोर्ट ने अधूरा माना है. अधूरी रिपोर्ट होने के कारण मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग को चुनाव में आरक्षण नहीं मिलेगा. इसलिए अब स्थानीय चुनाव 36 फीसदी आरक्षण के साथ ही होंगे. इसमें 20 फीसदी अनुसूचित जाति और 16 फीसदी अनुसूचित जाति का आरक्षण रहेगा. जबकि शिवराज सरकार ने पंचायत चुनाव में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने के बात कही थी.

सुप्रीम कोर्ट के आये फैसलेे के बाद भाजपा सरकार बैकफुट में है, हालांकि सरकार के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि वह इस मामले में रिव्यु पिटिशन दायर करेंगे. लेकिन जिस तरह से निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तैयारी प्रारंभ कर दी है, उससे निर्वाचन आयोग, माननीय न्यायालय के आदेशानुसार जल्द से जल्द चुनाव कराये जाने को लेकर सक्रिय दिखाई दे रहा है. मीडिया सूत्रोें की मानें तो इस मामले में निर्वाचन आयोग ने कलेक्टरों की बैठक भी बुलवाई है. वहीं ओबीसी आरक्षण को लेकर प्रदेश सरकार बैकफुट पर खड़ी है.  

हालांकि सरकार और पार्टी से जुड़े भाजपा जनप्रतिनिधि बचाव की मुद्रा में खड़े है. उनका कहना है कि प्रदेश सरकार ओबीसी आरक्षण के संबंध में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रिव्यू पिटीशन दायर करके पुनः अदालत से आग्रह करेगी कि मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के साथ ही पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव सम्पन्न हों.

हालांकि इस पूरे मामले मंे सबसे ज्यादा जो चर्चित है, वह बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव के साथ ही पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण के मामले में प्रदेश की बीजेपी सरकार की रिपोर्ट को कोर्ट ने अधूरा माना है. जबकि यह रिपोर्ट मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने तैयार कर सरकार को सौंपी थी. जिस रिपोर्ट को सरकार ने माननीय न्यायालय में पेश किया था.  

जिसको लेकर खड़े हो रहे सवाल के बाद आयोग अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन का मानना है कि माननीय न्यायालय, विधानसभा में ओबीसी आरक्षण को लेकर पारित संकल्प और ओबीसी हितों को ध्यान मेें रखते हुए पुर्नविचार करेगी और फैसला ओबीसी आरक्षण के पक्ष में आयेगा.

बालाघाट में अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन ने माननीय न्यायालय के ओबीसी आरक्षण और आयोग द्वारा तैयार किये गये तुलनात्मक आंकड़े को अधूरा बतायेे जाने के सवाल पर की गई चर्चा में कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसल के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने रिव्यु पिटिशन दायर करने की बात कही है. यही नहीं बल्कि ओबीसी आरक्षण को लेकर सर्वदलीय विधायकों ने सर्वसम्मति से विधानसभा में संकल्प भी पारित किया है कि पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के उपरांत ही चुनाव होंगे.   मामले में मुख्यमंत्री द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसले पर मुख्यमंत्री जी ने रिव्यु पिटिशन की दायर करने की बात कही है.   अपेक्षा रखते है कि विधानसभा में सर्वसम्मति से संकल्प पारित किया है पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के देने के उपरांत ही चुनाव होंगे. जिसे दृष्टिगत और ओबीसी हितों का ध्यान रखते हुए  माननीय न्यायालय, अपने फैसले पर पुर्नविचार करेगी.

आयोेग ने की थी 35 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश

माननीय न्यायालय ने सरकार द्वारा ओबीसी को लेकर पेश की गई रिपोर्ट को अधूरी माना है. लेकिन आयोग अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन का कहना है कि पूरे प्रदेेश में घूम-घूमकर आयोग ने संगठनां से ज्ञापन, चर्चा और मतदाता सूची का परीक्षण कर आंकड़े एकत्रित किये गये थे. जिसमें 48 प्रतिशत मतदाता और जनसंख्या के आधार पर स्थानीय चुनावो में 35 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की थी. जिस रिपोर्ट को राज्य सरकारह ने न्यायालय में प्रस्तुत किया है. उन्होंने रिपोर्ट पर माननीय न्यायालय की असंतुष्टी के सवाल पर कहा कि वह माननीय न्यायालय के आदेश पर टिप्पणी नहीं कर सकते है और ना ही इसका अधिकार है. राजनीति के साथ ही सेवा, सेवा, रोजगार और शिक्षा में ओबीसी को आरक्षण का अधिकार है और भाजपा का स्पष्ट दृष्टिकोण है कि निकाय और पंचायत चुनाव आरक्षण के आधार पर ही हो. माननीय न्यायालय के फैसले के संदर्भ में अब सरकार निर्णय करेगी.


Web Title : ELECTIONS ON THE BASIS OF OBC RESERVATION, BJPS APPROACH CLEAR BISEN, COMMISSION CHAIRMAN REFRAINS FROM COMMENTING ON HONBLE COURTS VERDICT