बालाघाट. उत्तर सामान्य वनमंडल के पूर्व बैहर सामान्य परिक्षेत्र के मंडई सर्किल की बाकल बीट में पदस्थ 30 वर्षीय युवा फायर फाईटर, कर्मशील सूर्यप्रकाश ऐड़े की गत दिनों आग बुझाने के बाद गंभीर रूप से स्वास्थ्य बिगड़ने के दौरान मृत्यु हो गई. जिसे वन एवं वन्यप्राणी संरक्षण कर्मचारी संघ ने शहीद का दर्जा देने के साथ ही परिवार को समस्त लाभ के साथ एक करोड़ की मुआवजा राशि और परिवार के एक सदस्य को तत्काल अनुकंपा नियुक्ति दिये जाने की मांग की है. वहीं कर्मचारी संघ ने जिले के वनक्षेत्रो में लगातार लग रही आग को बुझाने शरीर और परिवार की चिंता किये बिना वनकर्मी गंभीर रूप से अस्वस्थ हो रहे है, जिनके लिए परिक्षेत्र स्तर पर स्वास्थ्य शिविर लगाकर उनके स्वास्थ्य की जांच की जायें. इसके साथ ही वनो में लग रही आग को बुझाने अग्निशमक ब्लोअर और उसे चलाने 20 लीटर पेट्रोल और परिक्षेत्र स्तर पर शिविर लगाकर वनअमले का कोरोना टीकाकरण किये जाने की मांग की गई है.
मध्यप्रदेश वन एवं वन्यप्राणी संरक्षण कर्मचारी संघ ने जिलाध्यक्ष दिलीप बागड़े, महासचिव कृष्ण कुमार देशमुख और कोषाध्यक्ष संदीप गुप्ता द्वारा एक प्रतिनिधिमंडल के रूप में राज्यमंत्री कावरे के सचिव को सौंपा गया. साथ ही ज्ञापन प्रतिलिपि संघ द्वज्ञरा वन मंत्री, वन बल प्रमुख और संघ प्रांत अध्यक्ष को भी भेजी गई है.
अग्निरक्षक के नहीं मिलने से आग बुझाने मजबूर वनकर्मी
प्रतिवर्ष अग्नि सीजन में 5 माह 15 फरवरी से 15 जून तक हर बीट में अग्नि और वन सुरक्षा में मदद करने रकबानुसार एक या अधिक अग्निरक्षक वनअमले को प्रदाय किये जाते थे, लेकिन इस वर्ष किसी भी बीट में अग्निरक्षक उपलब्ध नहीं करवाये गये है. जिसके कारण जंगल में लगी आग को बुझाने और वनसुरक्षा के लिए वनकर्मी मजबूर है. बताया जाता है कि प्रतिवर्ष वनसुरक्षा में मदद करने वनसुरक्षा एवं ग्राम वन समितियों से कलेक्ट्रेट दर पर बीटवार रकबानुसार एक या अधिक रखे गये सुरक्षा श्रमिकों को कई वननमंडलों में इस वर्ष 1 अप्रैल से बंद कर दिया गया है. कई समितियों में पैसा न होने से पैसे के अभाव में आग बुझाने में ग्रामीण अब रूचि नहीं ले रहे है. आग बुझाने ग्रामीणों को ले जाने पर वनरक्षक उन्हें अपने वेतन से पैसा दे रहे है. अग्निरक्षक नहीं होने से अपनी कर्मठता के कारण फायर फायटर वनरक्षक सूर्यप्रकाश ऐड़े लगातार जंगल को अपना घर समझते हुए आग बुझाने में जुटे रहे है, इस दौरान न केवल उन्होंने अपनी बीट बाहकल को आग से बचाया अपितु पड़ोसी बीट के बुजुर्ग वनकर्मी की मदद करते हुए उनकी बीट सायल में भी वह वनक्षेत्र में लगी आग को बुझाने में लगे रहे.
लगातार आग बुझाने से मैदानी वनअमला का स्वास्थ्य हो रहा गंभीर
कर्मचारी संघ ने सौंपे गये ज्ञापन में बताया कि बीट और कूपो में लगातार हो रही आगजनी की जानकारी स्थानीय सूचना के अलावा भोपाल पाईंट से भी लगातार मिल रही है. जिसक कारण इन सघन वनो में सुरक्षा श्रमिकों, अग्निरक्षकों और समितियों के वन श्रमिकों के आभाव में रात-दिन, भुखे-प्यासे और शोषित एवं प्रताड़ित होकर वनरक्षक आग बुझाने में लगे है, जिसके कारण मैदानी वन अमला गंभीर रूप से अस्वस्थ्य हो रहा है. बावजूद इसके वनकर्मियों के आग बुझाने से गिरते स्वास्थ्य को लेकर परिक्षेत्र स्तर पर कोई स्वास्थ्य सेवायें नहीं है, इसके साथ ही प्रतिदिन दर्जनों लोगों से मुलाकात कर रहे मैदानी वन अमले को कोरोना से बचाव को लेकर भी कोई उपाय नहीं किये गये है. जहां चिकित्सा और पुलिस सेवा में लगे अमले केा तो कोरोना का टिका लग चुका है लेकिन वहीं वन अमले को अभी तक एक भी टिका नहीं लगा है.