गंगाधर ही शक्तिमान है, शिक्षा विभाग में 06 सालों से एक ही लेखापाल देख रहा मान्यता का काम, निजी स्कूलो को देता रहा संरक्षण

बालाघाट. जिले में सीबीएसई की मान्यता बताकर अभिभावकों को गुमराह करने वाले निजी स्कूलो पर प्रशासनिक शिकंजा कसता जा रहा है. जिसे लेकर जिले के कलेक्टर भी गंभीर है और अब तक लगभग सात स्कूलों की जांच के आदेश दिए है. जिस जांच की रिपोर्ट आज या कल में फायनल होकर कलेक्टर तक पहुंच जाएगी.  प्रारंभिक तौर से स्कूल की जितनी गलती है, उतनी ही गलती मान्यता देने वाले और इसकी मॉनिटरिंग करने वाले शासकीय अमले की भी है, जिनकी जिम्मेदारी अब तक तय नहीं की गई है.  

शिक्षा विभाग के सूत्रों की मानें तो शिक्षा विभाग में लगभग 6 से सात सालों से लेखापाल ही मान्यता का काम देख रहे है. जबकि नियमानुसार और रोटेशन प्रक्रिया के तहत तीन साल में यदि स्थानांतरण नहीं होता है तो रोटेशन प्रक्रिया के तहत प्रभार को परिवर्तित करना चाहिए, लेकिन इस तरह का नियमानुसार और रोटेशन प्रक्रिया को जिला शिक्षा कार्यालय नहीं मानता है, यही कारण है कि यहां वर्षो से पदस्थ कर्मी, अपने प्रभार वाले कार्य में इतने पारंगत हो गए है कि अधिकारियों को भी वह उंगलियों पर नचा देते है. यही कारण है कि जिला शिक्षा विभाग के गंगाधर, इतने शक्तिमान है कि गबन के मामले में वरिष्ठ अधिकारी के अपराध दर्ज करने के निर्देश के बाद भी, जिला शिक्षा अधिकारी उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रहे है.  

शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो लेखापाल ना केवल, निजी स्कूलों की मान्यता का काम देख रहे है बल्कि समग्र शिक्षा अभियान सेकेडरी एजुकेशन के माध्यम से स्कूलो में होने वाली खरीदी पर इनका सीधा हस्तक्षेप है. एक तरह से कहा जाए तो भले ही जिला शिक्षा अधिकारी कोई अन्य हो लेकिन हर फाईल इनकी आंखो के सामने से होकर गुजरती है. जिस पर अधिकारी का भी अंधविश्वास है.  चूंकि मामला वर्तमान में निजी स्कूलों की मान्यता और सीबीएसई के नाम से गुमराह करने वाले स्कूलों को लेकर चर्चित है, जिसमें भी शक्तिमान, गंगाधर की सीधी भूमिका बताई जाती है. सूत्रों की मानें तो उनके पास यह पूरी जानकारी थी कि एमपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूल, सीबीएसई बताकर पालकों को गुमराह कर रहे है लेकिन हर बार उन्होंने स्कूलों को संरक्षण देने का काम किया है.  

सूत्र यहां तक बताते है कि इनकी कुछ ऐसे भी निजी स्कूलों से अंदरूनी सेटिंग है, जिन स्कूलो मंे आरटीई के तहत निजी स्कूल प्रबंधन दोहरी कमाई कर रहा है, मसलन जहां वह प्रवेशित बच्चों से आरटीई के तहत प्रवेश पाने के बावजूद उनके पालकों से भी फीस ले रहा है और आरटीई के तहत, शासन से प्रदाय होने वाली भी राशि ले रहा है. जिसमें इनकी पूरी संलिप्तता है. जिले के निजी स्कूलो के आरटीई के तहत प्रवेशित बच्चों की यदि गंभीरता और पारदर्शितापूर्ण तरीके से जांच हो जाए तो यह मामला भी शिक्षा विभाग में आरटीई घोटाले के रूप में सामने आएगा.  जिला शिक्षा विभाग में उसकी पकड़ और पॉवर का ऐसा जलवा है कि शिक्षा विभाग कार्यालय में उनकी तूती बोलती है. खरीदी से लेकर छपाई तक में उनका सीधा हस्तक्षेप इसकी गवाही देता है कि गंगाधर ही शक्तिमान है, यह बात जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को समझना होगा, अन्यथा आज जुर्माना और जांच में यह कार्यवाही सिमटकर रह जाएगी और कल फिर इसी तरह का खेल शुरू हो जाएगा.  


Web Title : GANGADHAR IS THE ONLY SHAKTIMAAN, THE SAME ACCOUNTANT IN THE EDUCATION DEPARTMENT HAS BEEN LOOKING AFTER THE WORK OF ACCREDITATION FOR 06 YEARS, HAS BEEN PROTECTING PRIVATE SCHOOLS