वन्य प्राणी कछुये का अवैध व्यापार, तीन आरोपियों का सजा

बालाघाट. वन्यप्राणी कछुये को अवैध रूप से रखकर व्यापार करने वाले 3 आरोपियों को वारासिवनी अदालत के माननीय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, श्रीमान चैतन्य अनुभव चौबे, की अदालत ने भेंडारा निवासी 46 वर्षीय रविन्द्र पिता पियालाल अटराहे, थानेगांव निवासी 33 वर्षीय राजेश पिता धुरनलाल और पिंडकेपार निवासी 30 वर्षीय मिनेश पिता गणेश लिल्हारे को वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 51 के अंतर्गत दंडनीय अपराध के आरोप में 03-03 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा एवं  कुल 30 हजार रूपये के  अर्थदंड से दंडित करने का आदेश दिया है. अभियोजन की ओर से पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी ने राजेश कायस्त ने पैरवी की थी.  

घटनाक्रम के अनुसा 29 सितंबर 2016 को वनविभाग की टीम ने मुखबिर की सूचना मिलने पर ग्राहक बनकर कछुआ बेचने वाले से मिले थे. जिसके बाद आरोपी रविन्द्र के कहने पर अभियुक्त मिनेश एवं अभियुक्त राजेश ने ग्राहक बनकर पहुंचे वनविभाग की टीम को सोनझरा में कछुआ लाकर दिखाया.  जिसके बाद ग्राहक बनकर पहुंची वनविभाग की टीम ने आरोपियों को धर दबोचा. जिनके पास से कछुआ को जब्त किया गया. हालांकि इस दौरान अभियुक्त मिनेश फरार हो गया था. जिसके बाद पूछताछ में रविन्द्र के बयान उसके घर से दो कछुआ बरामद किया गया था. जिसमंे वनविभाग की टीम ने वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत अपराध कायम किया था. जिसकी विवेचना उपरंात अभियोग पत्र माननीय न्यायालय में पेश किया. जिसमें चल रहे विचारण उपरांत गत दिवस माननीय न्यायालय ने आरोपियों को दोषी पाते हुए कारावास और आर्थिक दंड से दंडित करने का आदेश दिया है.


Web Title : ILLEGAL TRADE IN WILD ANIMAL TURTLES, THREE ACCUSED SENTENCED