भारतीय संविधान नवीन चुनौतियों, स्वतंत्रता के बाद संविधान ने किया देश को संरक्षित, विधि विशेषज्ञों और वक्ताओं ने रखे विचार

बालाघाट. 23 जनवरी को जिले के अग्रणी प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस जटाशंकर त्रिवेदी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में सायंकाल 05 बजे तक दो सत्रो में भारतीय संविधान के 75 वर्ष पूर्ण होने राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन किया गया.  भारतीय संविधान नवीन चुनौतियां विषय पर आयोजित सेमीनार में प्राचार्य डॉ. पी. आर. चंदेलकर ने संविधान निर्माण प्रकिया पर अपनी बात रखी. जनभागीदारी समिति अध्यक्ष मौसम हरिनखेरे ने बताया कि भारत के सबसे बड़े ग्रंथ संविधान के माध्यम से उज्ज्वल एवं स्वर्णीम भारत की परिकल्पना साकार हो रही है. संविधान सभी वर्ग के नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना है. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव न्यायाधीश सुरेन्द्र सिंह गुर्जर ने बताया कि भारत का संविधान विश्व के सभी संविधान का गहन अध्ययन है. जिस कारण संविधान को चुनौती देना संभव नहीं है. अनुच्छेद 14 विधि के समानता का अधिकार प्रदान करता है एवं अनुच्छेद 39ए गरीब जनता के उत्थान में सहायक है. समता का अधिकार एवं आरक्षण के माध्यम से समाज में समानता आ रही हैं.  

रिटायर्ड जज सुरेन्द्र तुरकर ने अनुच्छेद 368 संविधान संशोधन की प्रक्रिया को विस्तार पूर्वक, विभिन्न मामलों के उदाहरण देकर समझाया. उन्होंने मूल अधिकार अनुच्छेद 13 के बारे में महाविद्यालय विद्यार्थियों को जानकारी दी. विधि महाविद्यालय छिंदवाड़ा से पहुंचे विधि विषय के सहायक प्राध्यापक डॉ. कमलाकर मोरघरे ने बताया कि आजादी के बाद मिली स्वतंत्रता को संरक्षित करना सबसे बड़ी चुनौती थी. इसे संविधान निर्माण एवं लागु कर दूर किया गया. विश्व का सबसे बड़ा संविधान हमे गौरवांवित करता है. संविधान को सफल बनाने के लिए इसे आत्मसात करने की आवश्यकता है तथा सभी नागरिकों में ईमानदारी एवं भारतीयता की भावना आवश्यक है. उन्होने कहा की संविधान के बिना गरिमामयी जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती.   कार्यक्रम का आयोजन विधि विभाग एवं राजनीतिशास्त्र विभाग ने संयुक्त रूप से किया था.  

विधि विभाग की सहायक प्राध्याक प्रो. तृप्ति सोनी ने बताया कि एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन  भारतीय संविधान नवीन चुनौतियों विषय पर था. जिसमें वक्ताओं ने अपनी बात रखी.  कार्यक्रम में प्रो. पवन बागड़ेे, प्रो. अनिल हनवत सह. संयोजक एवं सदस्य श्री जे. एम. चतुर्वेदी, प्रो. परसराम ठाकरे, प्रो. आनंद पारधी, प्रो. राजेष गौतम, डॉ. संतोष लिल्हारे, डॉ. तेजेन्द्र सिंह शिव, प्रो. दमयंती कटरे, वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. प्रवीण श्रीवास्तव, डॉ. पी. एस. कातुलकर, डॉ. सीमा श्रीवास्तव, डॉ. उषा सिंह, डॉ. अनिल पंचारिया सहित सभी प्राध्यापक और छात्र-छात्राएं उपस्थित थे.


Web Title : INDIAN CONSTITUTION FACE NEW CHALLENGE, CONSTITUTION PROTECTED THE COUNTRY AFTER INDEPENDENCE, LEGAL EXPERT AND SPEAKERS EXPRESSED THEIR VIEW