25 वर्षो से सिद्धेश्वरी मंदिर में सप्तमी पर होती है महाआरती

बालाघाट. मां की महिला अपरंपार है, जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता. कहते है शारदेय नवरात्र पर मां अपने मायके में आती है और यहां वह 9 नौ दिनों तक रहती है, मां के आगमन की खुशी में भक्त मां की आराधना और उपासना में जुटे रहते है, ताकि मां उनकी हर मनोकामना पूर्ण करें. जिले सहित मुख्यालय में स्थित देवी मंदिरों के प्रति आस्था और उसका इतिहास कई रहस्यों को संजोये है, जिसकी महिमा सुनकर भक्तगण मां के दर्शनार्थ और उनका आशीर्वाद लेने आते है. मुख्यालय स्थित ऐसा ही एक मंदिर है, सिद्धेश्वरी मंदिर, जहां माता सिद्धेश्वरी अपने हर भक्तों की दिल से मांगी गई मुराद को पूरा करती है, कहा जाता है कि जब भी कोई भक्त, मां से मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद मांगने पहुंचा है, वह दर से भरी झोली लेकर ही लौटा है.  

नगर के प्राचीनतम सिद्धेश्वरी मंदिर की महत्ता और मां सिद्धेश्वरी की महिमा जितनी अपरंपार है, उतनी ही पुरानी यहां के भक्तों की परंपरा है. हालांकि जिले के सभी देवीमंदिरो में नवरात्र पर मां की महाआरती की जाती है लेकिन नगर के सिद्धेश्वरी मंदिर में आज से 25 साल पहले प्रारंभ की गई सप्तमी पर महाआरती की परंपरा आज भी 25 सालों से अनवरत रूप से जारी है, पुरानी पीढ़ी से नई पीढ़ी में हस्तांतरित हो रही इस परंपरा को नई पीढ़ी भी पूरे भक्तिभाव के साथ पुरानी पीढ़ी के साथ मिलकर कर रही है.

शारदेय नवरात्र की सप्तमी को 51 दीपों से महाआरती की परंपरा इस वर्ष भी पूरे भक्तिभाव के साथ निभाई गई. 12 अक्टूबर सप्तमी को मंदिर में 51 दीपों से महाआरती की गई. जिसमें भक्तों ने शामिल होकर मां की महाआरती का पुण्यलाभ अर्जित किया.  


Web Title : MAHAAARTI TAKES PLACE ON SAPTAMI IN SIDDHESHWARI TEMPLE FOR 25 YEARS