बालाघाट. प्रति वर्षानुसार इस वर्ष भी मकर संक्राति पर्व हिन्दु धर्मावलंबियों द्वारा 14 जनवरी को आस्था के साथ उत्साहपूर्वक मनाया गया. मकर संक्राति पर्व को लेकर नदियों के तट एवं पिकनिक स्थल पर लोग पहुंचे तो जरूर, लेकिन इस वर्ष भीड़ कम रही. मौसम के बदलने से बारिश के साथ ठंड और कोरोना का असर मकर संक्रांति पर पिकनिक मनाने वालों में देखा गया. हालांकि वनस्पतिक उद्यान, वैनगंगा नदी के पुल के नीचे लोग पिकनिक मनाने पहुंचे और मकर संक्रांति का आनंद मनाया.
मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है. जिसके चलते सुबह वैनगंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाकर सूर्य देवता की पूजा अर्चना की. मकर संक्रांति पर धार्मिक स्थल शंकरघाट स्थित शिव मंदिर में भक्तों ने पहुंचकर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर घाट किनारे पिकनिक का आनंद उठाया.
जानकारों की मानें तो इस दिन काले तिल और तिल से बनी चीजों को दान करने से पुण्य लाभ मिलता है. पौष माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाये जाने वाले मकर संक्रांति पर्व का हिन्दू धर्म में इसका खास महत्व है. आज के दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं. इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर जाते हैं. इसलिए ही इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. तिल गुड़ की मिठास और पंतगों से रंगा आसमान, वैनगंगा नदी के तट पर आस्था की डुबकी और तट किनारे पिकनिक का आनंद, मकर संक्रांति के पर्व का उल्लास को प्रदशित कर रहा था.
गत वर्ष की तरह इस वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते मकर संक्राति पर्व सादगी पूर्वक मनाया गया, हालांकि लोग बाहर निकले, लेकिन मौसम के परिवर्तन और बारिश से बढ़ी ठंड के कारण पिकनिक स्थलों पर कम ही मौजूदगी रही. हालांकि प्रशासन द्वारा नगर के प्रमुख नदी घाट एवं पिकनिक स्थलों पर सुरक्षा की दृष्टि से रखी गई थी.
नदी किनारे युवाओं ने की पतंगबाजी
मकर संक्रांति पर पतंगे न उड़े, ऐसा हो नहीं सकता. मकर संक्रांति के दिन सुबह जब मौसम खुला था, लोगों ने सुबह से ही पतंगबाजी का जमकर आनंद लिया. वनस्पतिक उद्यान और वैनगंगा नदी के पुल के नीचे पहुंचे युवाओं ने भी पतंगबाजी का जमकर लुत्फ उठाया, किन्तु दोपहर बाद मौसम परिवर्तन होने से बारिश के चलते पतंगबाजी फिर दिखाई नहीं दी.
मौसम ने फिका किया त्यौहार का रंग
अक्सर मकर संक्रांति में पिकनिक स्थलों पर खासी भीड़ रहती है, बड़ी संख्या में नदी के किनारे और वनस्पति उद्यान में पिकनिक मनाने परिवार सहित पहुंचते है लेकिन सुबह से ही छाये बादल और दोपहर बाद बारिश ने त्यौहार का रंग फीका कर दिया. हालांकि कुछ लोग पहुंचे जरूर लेकिन बारिश के कारण वह भी उद्यान में बनी झोपड़ी या फिर पुल के नीचे बारिश से बचते-बचाते पिकनिक का आनंद मनाते देख गये.
बारिश से बढ़ी ठंड में अलाव बना सहारा
14 जनवरी को मौसम में सुबह से ही ठंडकता का अहसास महसुस किया गया. फिर दोपहर बाद बारिश से मौसम और ठंडा हो गया. जिससे बचने के लिए लोग अलाव में आग सेकते नजर आये. अलावा ही दिन की बारिश से बढ़ी ठंड का सहारा बना.