पेसा एक्ट में मछुआ समाज से जल का अधिकार छिनने से आक्रोशित मांझी मछुआ समाज, जनाक्रोश रैली एवं प्रदर्शन कल

बालाघाट. आदिकाल रामायण और महाभारत में मांझी समाज का संबंध जल से रहा है. नदी, तालाब में मांझी समाज के लोग मछली मारना और नाव चलाने का काम करते है और आज भी मांझी समाज के लोग इसी पर निर्भर है और उसी से अपना जीवनयापन करते है किन्तु मध्यप्रदेश शासन की गलत नीति से नया कानून पेस एक्ट लागु किया गया है, जो मछुआरों के हित मंे नहीं है. जिससे मछुआरों का व्यवसाय छिन जायेगा और मछुआरा समुदाय के पास कोई काम नहीं बचेगा. सरकार की इस नीति से मांझी समाज में शासन के खिलाफ भारी आक्रोश है. यही नही बल्कि दशकों से मांझी समाज को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग आज भी अधूरी है. जबकि भाजपा ने अपने 2008 और 2013 के मेनीफेस्टो में समाज को अनुसूचित जनजाति का दर्जा सरकार बनने के बाद देने का वादा किया था. जिसे अब तक सरकार पूरा नही कर सकी है. केवल आश्वासन देकर समाज को गुमराह करने का काम किया जा रहा है. यह बात आयोजित प्रेेसवार्ता में मांझी आदिवासी संघर्ष समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष देवराम बर्वे ने कही.

निजी मॉल में आयोजित प्रेसवार्ता में उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा गत नीति से लागु किये गये कानून पेसा एक्ट के खिलाफ मांझी समाज 5 दिसंबर सोमवार को बड़ी जनाक्रोश रैली और धरना प्रदर्शन करने जा रहा है. जिसमें मांझी आदिवासी समन्वय समिति के प्रदेश अध्यक्ष महेश केवट, मांझी आदिवासी संघ के प्रदेश अध्यक्ष अधि. हरिकुमार मांझी, मांझी आदिवासी संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष केशव माझी, मांझी आदिवासी संघ के प्रदेश संयोजक टीकाराम रैकवार, ढीमर मछुआ समाज संगठन के अध्यक्ष ईश्वरदयाल उके और माझी आदिवासी महासंघ के अध्यक्ष मानक बर्वे शामिल होंगे.

प्रेसवार्ता में प्रदेश उपाध्यक्ष देवराम बर्वे ने बताया कि मांझी मछुआ समाज के हक और अधिकार को लेकर सरकार से एक बार और बात की जायेगी. बावजूद इसके सरकार नहीं मानती है तो आगामी विधानसभा चुनाव में माझी समाज विरोध में काम करेगा.   कल 5 दिसंबर को माझी मछुआ समाज समन्वय समिति द्वारा आयोजित जनाक्रोश रैली एवं प्रदर्शन में जिले के सभी स्वजातीय बंधुओं से रोजी-रोटी एवं व्यवसाय को बचाने शामिल होने की अपील की है.


Web Title : MANJHI CHINCHUA SAMAJ PROTESTS AGAINST LOSS OF WATER RIGHTS FROM FISHERMEN UNDER PESA ACT