बालाघाट. सड़को और सार्वजनिक स्थानों पर विचरण करते आवारा मवेशी के खिलाफ मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम 1956 की धारा 358 में संशोधन किया गया है. जिसके तहत अब जानबूझकर अथवा उपेक्षापूर्वक किसी मवेशी अथवा अन्य पशु को सार्वजनिक सड़क या स्थान पर खुला छोड़ता है अथवा बांधता है, जिसके कारण व्यक्ति को क्षति होती है या संपत्ति का नकसान होता है या फिर लोक यातायात को बाधा पहंुंचती है, संकट उत्पन्न होता है, लोक न्यूसेंस कारिता होता है तो उसे नगरपालिका अधिनियम की संशोधित धारा 358 के तहत एक हजार रूपये का दंड भरना होगा. नगरपालिका अधिनियम की संशोधित धारा को महामहिम राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद कानून बना दिया गया है, जिसका प्रकाशन भी राजपत्र में कर दिया गया है.
गौरतलब हो कि बालाघाट में नगरपालिका की सख्ती के बावजूद मवेशी पालकों में कोई भय हो, ऐसा सड़को और सार्वजनिक स्थानों पर आवारा घूमते मवेशियों को देखकर नहीं लगता हैं. वहीं इस मामले में नगरपालिका भी मनमर्जी के अनुसार कार्य करती ही दिखाई दी है, जबकि सतत रूप से शहर की सड़को और सार्वजनिक स्थानों पर आवारा मवेशियों को लेकर कार्यवाही हमेशा ही ढिली रही है, जिसके कारण अरसों की इस समस्या आज भी यथावत और जस की तस बनी है. फिलहाल अब देखना है कि नगरपालिका अधिनियम में संशोधित धारा के बाद नगरपालिका आवारा मवेशियों को लेकर मवेशी पालकों के खिलाफ क्या कार्यवाही करती है, अन्यथा पशुपालकों के साथ बैठक और कभी-कभार हाका गैंग द्वारा की जाने वाली कार्यवाहियों से भी पशु पालकों द्वारा मवेशियों को आवारा छोड़े जाने पर अंकुश नहीं लग पा रहा है, जिससे लगता है कि नगरपालिका पशुपालकों के आगे नतमस्तक हो गई है.