छठ महापर्व पर व्रतधारी महिलाओं ने डूबते सूर्य को दिया अर्ध्य, कल सूर्य की पहली किरण पर दिया जाएगा अर्ध्य

बालाघाट. गुरूवार को छठ पर्व तीसरे दिन व्रतधारी महिलाओं ने भगवान सूर्य का पूजन किया. महिलाओं ने घर, परिवार, समाज, देश की सुख समृद्धि के लिये प्रार्थना की. छठ पर्व के तीसरे दिन मोती ताल में शाम को महिलाओं ने डूबते सूर्य को अर्ध्य देकर पूजन किया.  लोक आस्था के महापर्व ‘छठ’ का हिंदू धर्म में अलग महत्व है. यह एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें ना केवल उदयाचल सूर्य की पूजा की जाती है बल्कि अस्ताचलगामी सूर्य को भी पूजा जाता है. महापर्व के दौरान हिंदू धर्मावलंबी भगवान सूर्य देव को जल अर्पित कर आराधना करते हैं. बिहार में इस पर्व का खास महत्व है. मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की अराधना की जाती है.

व्रतधारी महिला आशा तिवारी ने बताया कि छठ महापर्व के तीसरे दिन आज गुरूवार 7 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया. जबकि कल सूर्योदय की पहली किरण पर उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ महापर्व का समापन हो जाएगा. पर्व को लेकर श्रद्धालुओं में भक्ति एवं उत्‍साह दिखाई दिया.  सूर्योपासना का यह पर्व कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है. इस वर्ष छठ पर्व की शुरुआत स्नान यानी नहाय-खाय के साथ हुई. इसके बाद व्रतियों ने ‘खरना’ का प्रसाद ग्रहण किया.  छठपूजा को लेकर अनेक कथाएं विद्यमान है लेकिन लोक परंपरा के अनुसार कहा जाता है कि सूर्यदेव और छटी मैया का भाई-बहन का संबंध है एवं इसी के चलते सूर्य की आराधना की जाती है तथा पवित्रता के साथ व्रत करने वालों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.  

गौरतलब हो कि यह पर्व बिहार ही नहीं, देश-विदेश में उन सभी जगहों पर भी मनाया जाता है, जहां इस व्रत को मानने वाले निवास करते है. छठ पर्व अकेला ऐसा पर्व है, जिसमें डूबते सूर्य की पूजा की जाती है. यह पर्व कहता है कि फिर सुबह होगी और नया दिन आएगा. अस्‍त होते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद अगली सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा. जिसमें व्रतधारी पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्ध्य देती है, प्रथम अर्घ्य और द्वितीय अर्घ्य के बीच का समय तप का होता है. यह समय प्रकृति को प्रसन्न करने का तथा उससे वर प्राप्त करने का माना जाता है. पौराणिक मान्यतानुसार छटपूजा आदिकाल से चली आ रही है और सर्वप्रथम सूर्यपुत्र कर्ण ने ही सूर्यदेव की पूजा कर छटपर्व का आरंभ किया था.  


Web Title : ON THE OCCASION OF CHHATH PUJA, FASTING WOMEN OFFER ARADHYA TO THE SETTING SUN, TOMORROW ON THE FIRST RAY OF THE SUN, ARADHYA WILL BE OFFERED