बालाघाट. जिले के दूरस्थ अंचलो में शिक्षा की हकीकत कहीं ज्यादा खराब है. यहां पदस्थ महिनो में उंगलियो में गिन जाने लायक दिन ही आते है और आते ही चले जाते है. अमूमन शिक्षकों को अपने हेडक्वार्टर में रहना चाहिये लेकिन वह मुख्यालय या तहसील मुख्यालय से आना जाना करते है.
जिले के दूरस्थ अंचलो में शिक्षा और छात्रावास की हालतो से रूबरू होने पहंुचे कलेक्टर ने छात्राओं को अपने साथ वाहन में बैठाया और उनसे स्कूलो मंे आने वाले शिक्षकों की हकीकत को जाना. जिसके बाद पता चला है कि शिक्षक और प्रधानपाठक तो मर्जी से स्कूल आते है. यही नहीं बल्कि 50 बच्चों के छात्रावास में आधे से भी कम बच्चे मिले. जिससे साफ है कि यदि अधिकारी दौरा ना करें और स्थिति को ना देखे तो सब भगवान भरोसे है. दूरस्थ अंचलो में शिक्षकों की यह हकीकत बयां हुई कलेक्टर के दौरे से.
कलेक्टर डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा ने 6 जनवरी को लांजी विकासखंड के अंतर्गत नक्सल प्रभावित क्षेत्र के ग्राम टेमनी के स्कूल का निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान शाला में नल जल व्यवस्था एवं अन्य व्यवस्थाएं ठीक नहीं थी. बच्चों से जानकारी लेने पर पता चला कि शाला के शिक्षक नियमित रूप से नहीं आते हैं. वहीं उन्हें छात्रावास में भी दर्ज संख्या के अनुपात में काफी कम विद्यार्थी मिले. कलेक्टर के सामने शिक्षक और प्रधानपाठक की सफाई उस समय झूठी पड़ गई. जब कलेक्टर ने छात्राओं को अपने साथ वाहन में बैठाकर स्कूल के शिक्षकों के स्कूल आने के बारे में चर्चा की. छात्राओं ने बताया कि प्रधानपाठक सर महिने में दो चार दिन ही आते है. जिससे उनके द्वारा पढ़ाये जाने वाले हिन्दी और अंग्रेजी विषय की पढ़ाई प्रभावित होती है. बताया जाता है कि प्रधानपाठक स्कूटी से लांजी मुख्यालय से आना-जाना करते है. जिले के दूरस्थ अंचलो में शिक्षा के हालत को इस तरह से कलेक्टर द्वरा जानने की कार्यवाही को लोगों ने काफी सराहा है. वहीं जागरूक लोगांे का कहना है कि यदि इसी तरह से कलेक्टर साहब दूरस्थ अंचलो में पहुंचकर आकस्मिक निरीक्षण करें तो निश्चित ही एक अच्छा बदलाव देखा जा सकता है. इसके बाद कलेक्टर ने शिक्षा में लापरवाही बरतने पर प्रभारी प्रधान पाठक डिलेश्वर बाघमारे और प्राथमिक शिक्षक दानसिंह धुर्वे की दो वेतन वृद्धि रोकने के निर्देश दिए गए हैं.