भालु की शहर में आमद से मची खलबली, भालु की तलाश कर रहा वनविभाग, भालु को पकड़ने कान्हा से पहुंची टीम

बालाघाट. जंगल से शहर में वन्यप्राणी भालु के आने से खलबली मच गई. बताया जाता है कि शहर लगे ग्रामीण क्षेत्र में भालु को लोगांे देखा. जिसके सोमवार को दिन के समय जागपुर में देखे जाने की जानकारी मिली. शाम होते, होते भालु ग्रामीण थाने में दिखाई दिया. जहां वह रहवासी परिसर से होकर एक पेड़ पर चढ़ गया. थाने में भालु के नजर आने की जानकारी के बाद रात में वहां उसे देखने लोगांे की भीड़ जमा होने लगी. जिसके बाद वन्यप्राणी की सुरक्षा या भालु द्वारा हमले की आशंका से ग्रामीण पुलिस ने लोगों को भालु से दूर किया.  

तब तक शहर में वन्यप्राणी भालु के नजर आने की जानकारी वनअमले को मिलते ही वन अमला हरकत में आया. जिसके बाद वन अमला ग्रामीण थाने पहुंचा, जहां पेड़ पर चढ़े भालु को सुरक्षित उतारने और उसे जंगल की ओर खदेड़ने के लिए अमला प्रयास करता रहा, लेकिन काफी देर बाद भी जब भालु पेड़ से नही उतरा तो वनअधिकारियों ने लाईटों को ऑफ करवाया और भालु को सुरक्षित पकड़ने के लिए प्रयास में जुट गया, लेकिन यहां से भी भालु पेड़ से उतरकर अंधेरे में रहवासी क्षेत्र के पीछे से होता हुआ, चला गया. इससे पहले की वनअमला भालु के शहरी क्षेत्र में प्रवेश के बाद सुरक्षित वापस लौटने से राहत की सांस ले पाता कि वन अमले को फिर जानकारी मिली कि वन्यप्राणी भालु बालाघाट के शहरी क्षेत्र में दिखाई दे रहा है. जिसे बीती रात्रि के प्रथम पहर पर शहर के रानी अवंतीबाई चौक में माननीय न्यायाधीश के निवास के गेट पर चढ़ते हुए देखा गया. जहां से कुछ देर बाद भालु चहलकदमी करता हुआ, रेंजर कॉलेज के मार्ग से इससे लगे जंगली क्षेत्र में चला गया.  

शहरी क्षेत्र में भालु के नजर आने से उसकी सुरक्षा को लेकर चितिंत वन अमला रात में लगातार भालु का पीछता करता रहा लेकिन भालु वन अमले की पकड़ से दूर होता चला गया. हालांकि अब भी शहर से लगे जंगली क्षेत्र में वनविभाग उसका सर्चिंग कर रहा है, वनविभाग को आशंका है कि यदि भालु घायल हो गया हो तो सर्चिंग के बाद उसका रेस्क्यु कर उसे सुरक्षित किया जा सकता है. जिसके लिए वनविभाग की टीम ने कान्हा से 12 से 15 सदस्यीय एक्सपर्ट रेस्क्यु टीम को भी बालाघाट बुलाया है.  

15 दिन पहले भी बजरंग घाट में देखा गया था भालु

वन्यजीव प्रेमी अभय कोचर की मानें तो बजरंग घाट में प्रातः की सैर के दौरान उन्होंने भालु को देखा था. जिसकी जानकारी भी उन्होंने वन अमले को दी थी लेकिन वन अमले ने उस जानकारी को गंभीरता से नहीं लिया. जिससे बजरंग घाट के जंगली क्षेत्र में पहुंचा भालु शहर की ओर आ गया. वन्यप्राणी भालु के शहर की ओर आने के पीछे वन्यजीव प्रेमी अभय कोचर का तर्क है कि प्रतिवर्ष जून में बारिश से पूर्व ग्रामीण क्षेत्र के लोग फसल को सुरक्षित करने और दैनिक उपयोग के लिए बड़ी मात्रा में जंगली क्षेत्र से लकड़ियों की कटाई करते है. जिससे वन्यजीव के प्राकृतिक आवास शैली पर इसका असर पड़ता है और वन्यजीव शहरों की ओर चले आते है. उन्होंने कहा कि जिले में यह परंपरा सी बन गई है कि जून में बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्र के लोग जंगलो में पहुंचकर लकड़ियों की कटाई करते है, लेकिन इन्हें रोकने में वनअमला कामयाब नहीं हो पा रहा है. जिससे वन्यजीवो पर इसका असर पड़ रहा है और वह जंगलो से निकालकर शहर की ओर आते है.


इनका कहना है

हमें जानकारी मिली थी कि ग्रामीण थाना परिसर में रहवासी क्षेत्र के पास वन्यजीव भालु एक पेड़ पर चढ़ा है. जिसके बाद वन अमले को भेजा गया. जहां पुलिस के सहयोग से वन अमले ने भालु को वहां से निकालने का प्रयास किया. जहां से भालु निकालकर रेलवे ट्रेक से होते हुए आगे निकल गया. रात लगभग 3 बजे भी शहर में भालु के दिखाई देने की जानकारी मिली थी. जहां से वह रेंजर कॉलेज से होकर वनक्षेत्र में चला गया है. जिसे ढूंढने के लिए विभाग सर्चिंग ऑपरेशन चला रहा है. भालु का रेस्क्यु करने के लिए कान्हा से भी 12 से 15 सदस्यीय एक्सपर्ट की टीम बालाघाट पहुंची है.  

अमित पटौदी, एसडीओ, दक्षिण सामान्य वनमंडल


Web Title : THE INFLUX OF THE CITY OF BHALU, THE FOREST DEPARTMENT LOOKING FOR THE BHALU, THE TEAM FROM KANHA TO CATCH THE BHALU