बाघ ने किया महिला का शिकार, वनविभाग पर उदासीन रवैये का ग्रामीणों ने लगाया आरोप, कई गांव के ग्रामीण दहशत में जी रहे जीवन

वारासिवनी. ग्राम पंचायत नांदगांव, सिर्रा, कटंगझरी, नगझर, रमरमा, चिरचिरा, टेकाडी, नैतरा सहित अन्य ग्रामों के हजारों ग्रामीण, इन दिनो बाघ के डर के बीच अपना जीवन यापन कर रहे है. आये दिन बाघ के द्वारा ग्रामीणों किसानों के गाय, बैल, भैंस और अन्य जानवरो पर हमले किये जाने की खबरे अब आम हो गई हैं. वही अब इंसानों पर भी हमला होने लगा है. ऐसी ही घटना आज ग्राम पंचायत नांदगांव में घटित हो गई. जहां बाघ ने दिन दहाडे खेत में काम कर रही एक युवती को बाघ ने अपना शिकार बनाया. जिसके बाद नांदगांव सहित वन क्षेत्रों से लगी लगभग दर्जन ग्राम पंचायतों के ग्रामीणजन अब खेेतो मे खेती का कार्य करने के लिये खेतो में जाने से कतरा रहे हैं.  

जानकारी अनुसार 2 दिसंबर की दोपहर लगभग सवा दो बजे यह घटना उस समय घटित हो गई, जब कृषक विष्णु उईक अपनी पत्नि 25 वर्षीय लक्ष्मी उईके के साथ सिरपुर डाकटोला मे स्थित अपने खेत में धान गहानी कर रहा था. इसी दौरान लक्ष्मी उईके खेत के पास स्थित नाले मे किसी कार्य से गई थी. जहां पहले से मौजूद बाघ ने लक्ष्मी उईके पर हमला कर दिया और उसे घसीट कर ले जाने का प्रयास करने लगा. बाघ के हमले से लक्ष्मी चीख सुनकर खेत में कार्य कर रहा विष्णु दौड़कर आया और जोर-जोर से चिल्लाते हुए बाघ से पत्नी को बचाने का प्रयास करने लगा. इस बीच कुछ और लोग पहुंचकर हल्ला मचाने लगे तो बाघ महिला को छोडकर जंगल की ओर भाग गया. बाघ का हमले से महिला की घटना स्थल पर ही मौत हो गई. बताया जाता है कि बाघ ने महिला के गले पर हमला किया. जिससे उसकी मौत हो गई.  

जानकारी अनुसार घटना की जानकारी लगते ही नांदगांव सहित दर्जन भर ग्राम पंचायतों मंे लगातार हो रहे पालतु पशुओं पर बाघ के हमलों से पीडित किसान एवं ग्रामीणजनों ने जमकर हल्ला मचाया और घटना स्थल से मृतक महिला का शव उठाने नही दिया. ग्रामीण वन विभाग के उच्चाधिकारियों को बुलाने की बात पर अड़ गये. वही घटना स्थल पर पहुंचे एसडीओं सिरसाम एवं प्रभारी रेजर हर्षित सक्सेना ने जैसे-तैसे ग्रामीणों एवं महिला के परिजनों को समझा बुझाकर शव का पंचनामा तैयार कर आवश्यक कार्यवाही को अंजाम देते हुए शव का उठवाया.   

सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार देर शाम लगभग 7 बजे जब महिला का शव घटना स्थल से घर लाया जा रहा था, तब मृतिका के परिजनों एवं ग्रामीणजनों ने रास्ते मे ही शव को ले जाने से रोक दिया और उच्च वनाधिकारियों को बुलवाने पर अड़ गये. हालांकि वन विभाग एवं पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने ग्रामीणों के साथ बैठक की.  

ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र मे लगातार बाघ और तेंदुऐ के हमले मंे अनेक पशुधन गंवा चुके है. वन विभाग जिन्हे इन वनों एवं वन्यप्राणियों की सुरक्षा का जिम्मा है. वो घटना होने के बाद मौके पर आकर पंचनामा तैयार कर लेते है और किसानों एवं ग्रामीणों को मुआवजा एवं सुरक्षा का आश्वासन देकर इतिश्री कर लेते हैं. घटना के पूर्व ग्रामीणों को बाघ या कोई हिंसक प्राणी दिखने की जानकारी के बाद कोई ठोस कदम नही उठाया जाता. वन विभाग की इस सुस्त और उदासीन कार्यशैली से ऐसी घटना लगातार घटित हो रही है.

नांदगांव के जागरूक ग्रामीण नीटू सहारे ने बताया कि ग्राम के आसपास अलग-अलग जगह पर बाघ की उपस्थिति से जनजीवन प्रभावित हो रहा है. पिछले कई दिनों नही अपितु कई सालों से अनेक ग्रामों में बाघ एवं तेंदुऐ द्वारा लगातार पशुओं पर हमला कर अपना शिकार बनाया जा रहा है. चूंकि यह क्षेत्र सिर्फ कृषि पर आधारित है जिससे यहां के ग्रामीणों का जीवन यापन चलता है. बाघ के हमलों के कारण किसान खेतों में जाने से डर रहे है.  

ग्राम पंचायत नांदगांव के सरपंच विजय सहारे ने बताया कि ग्राम पंचायत नांदगांव, सिर्रा, कटंगझरी, नगझर, रमरमा, चिरचिरा, टेकाडी, नैतरा सहित अन्य ग्राम पंचायते वनों से लगे हुए है जहां हिंसक वन्यप्राणियों सहित अन्य वन्य प्राणियों का आना जाना लगा रहता हैं. आये दिन बाघ और तेंदुए के हमले से पशुओं की हानि होती है. अब तो इंसानों पर भी हमले होने लगे है. ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग इन वन्यप्राणियों के ग्रामीण क्षेत्रों में आने से रोकना चाहिए. वन विभाग को चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्रों मे लगी सीमाओं को फेंसिग तारो से सुरक्षित करे.  

Web Title : VILLAGERS ACCUSE FOREST DEPARTMENT OF INDIFFERENT ATTITUDE, VILLAGERS OF MANY VILLAGES LIVING IN PANIC