लंपी बीमारी के दो मवेशी मिले संदिग्ध, गौपालक और कृषक अपने-अपने मवेशियों को सुरक्षित रखे-डॉ. परते

बालाघाट. लंपी बीमारी कोई नहीं है, लेकिन प्रदेश मंे लंपी बीमारी के जिस तरह से प्रकरण सामने आ रहे है, वह मवेशियों के लिए चिंतनीय है. जिसको शासन के निर्देश के बाद पशु चिकित्सा विभाग भी गंभीरता से लेकर गौपालकों और कृषकांे को अपने-अपने मवेशियों को सुरक्षित रखने के लिए निर्देशित किया जा रहा है.

लंपी बीमारी के दो मवेशी मिले संदिग्ध

25 सितंबर को मवेशी मंे होने वाली लंपी बीमारी के दो और संदिग्ध मवेशी मिले है. जिनका पशु चिकित्सा विभाग द्वारा सैंपल लेकर भोपाल जांच के लिए डीआई लैब भेजा गया है. जिसको मिलाकर बालाघाट शहरी क्षेत्र में चार मवेशी संदिग्ध पाये गये है. जिनकी रिपोर्ट आने के बाद ही समझा जायेगा कि संदिग्ध मवेशी, लंपी बीमारी से ग्रसित है या अन्य कोई बीमारी से. हालांकि पशु चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त उपसंचालक डॉ. घनश्याम परते का कहना है कि लक्षण लंपी बीमारी जैसे है, जिसके चलते उनका सैंपल लेकर भोपाल डीआई लेब मंे जांच के लिए भेजा गया है. हालांकि उन्होंने बताया कि यह कोई नई बीमारी नहीं है, पूर्व मंे जिले में इस बीमारी के मवेशी पाये गये है. जिनका वेक्सीनेशन कर उन्हें ठीक गया है और वर्तमान में भी जिले में वेक्सीन उपलब्ध है, यदि कोई मवेशी पॉजिटिव पाया जाता है तो उसका वेक्सीनेशन किया जायेगा. उन्होंने बताया कि शहर में घूम रहे आवारा मवेशियों को यह बीमारी न हो, इसके लिए नगरपालिका अध्यक्ष से चर्चा कर आवारा मवेशियों को हटाये जाने की बात कही गई थी.

उन्होंने बताया कि ऐतिहातन के तौर पर लंपी बीमारी से बचाव को लेकर गौपालकों और कृषकों को निर्देशित किया जा रहा है कि पशुओ के रखने के स्थान पर नीम की पत्ती का धुंआ करें, नीम की पत्ती के पानी से नहलाये, पशुओं को पोषण आहार दे और यदि कोई मवेशी ऐसा संदिग्ध पाया जाता है तो इसकी सूचना पशु चिकित्सक को देखकर उसे अन्य स्वस्थ्य पशुओं से अलग रखे. उन्होंने बताया कि लंपी बीमारी एक संक्रमण बीमारी है, जिसके प्रति गौपालक और कृषक जागरूक रहे.  


Web Title : V, COW REARERS AND FARMERS SHOULD KEEP THEIR CATTLE SAFE: DR. LAYER