अंगदान के प्रति जागरूक बने, विश्व अंगदान दिवस पर पीएमसीएच चिकित्सको की लोगो से अपील

धनबाद. हर साल 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है. इस दिवस के अवसर पर जन स्वास्थ्य के हित मे अंगदान की अहमियत और प्रक्रिया के बाबत लोगो को जागरूक किया जाता है.  

जागरूकता का अभाव :

पीएमसीएच आई बैंक के प्रभारी सह नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ रजनीकांत सिन्हा एवं पीएमसीएच के हड्डी विभाग्यध्यक्ष डॉ डीपी भूषण मानते है कि अंगदान के प्रति लोगो मे जागरूकता की कमी है. अंगदान के प्रति लोगो के जागरूक होने से कई जरूरतमंदों की जान बचाई जा सकती है.  

भय मिथक हावी : 

उन्होंने बताया आज भी जागरूकता के अभाव के कारण लोगो मे अंगदान के प्रति भय और मिथक बरकरार है. बार बार आग्रह के बावजूद मृतक के परिवार अंगदान के लिए राजी नही होते है.  

सेल काउंट कम होने पर अयोग्य हो जाता है नेत्र :

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ रजनीकांत सिन्हा बताते है कि समय दर समय उनके आई बैंक में नेत्रदान तो किया जाता है पर कई बार उम्र ज्यादा होने की वजह से दान किया गया नेत्र लाभकारी साबित नही हो पाता है. एक सीमित उम्र तक आँखों का इंडोथेलियम लेयर का सेल काउंट 3500 स्कवायर एमएम होता है. उम्र बढ़ने से सेल काउंट कम पड़ने लगता है.  

70 वर्ष के उम्र के व्यक्ति का नेत्र लाभकारी नही :

उन्होंने बताया उनके यहाँ पर ज्यादातर 70 से 80 साल के व्यक्ति का नेत्र दान में आता है. 70 कि उम्र में आँखों के सेल की संख्या घटकर 2000 के करीब हो जाती है. ऑपरेशन में सेल और नीचे चला जाता है और सेल 1400 से नीचे आ जाने पर वह नेत्र लाभकारी नही रह जाता है. 70 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति के मरणोपरांत नेत्र दान हो तो वह एक व्यक्ति के लिए  फायदेमंद होगा. इस पुनीत कार्य मे भागेदारी तभी सम्भव है जब लोग अंगदान के प्रति अपनी इच्छा शक्ति को प्रबल करेंगे.  

कॉस्टियो कर्टिलिजेन्स ग्राफ्ट के जरिये हड्डी प्रत्यारोपण मुमकिन :

डॉ डीपी भूषण ने कहा कि आज टेक्नोलॉजी काफी आगे जा चुकी है. किसी व्यक्ति के शरीर के किसी भाग की हड्डी कमजोर पड़ गई है. हड्डी में कैंसर है या ट्यूमर है तो ऐसी स्थिति में कॉस्टियो कर्टिलिजेन्स ग्राफ्ट के जरिये रोग ग्रस्त हड्डी को काटकर उसके जगह पर दान की गई हड्डी को उस स्थान पर प्रत्यारोपण कर रोगी को चलने फिरने लायक ठीक किया जा सकता है. यह कार्य तभी मुमकिन है जब लोग अपने मरणोपरांत देहदान की इच्छा रखे.