चिरकुंडा नगर परिषद चुनाव परिणाम की आज हुई एक वर्ष पूरी, वादे की आस में बैठी जनता

रिपोर्टर, बंटी झा

चिरकुंडा : चिरकुंडा नगर परिषद चुनाव परिणाम का  आज एक वर्ष पूरा हो गया है.   चिरकुंडा नगर परिषद में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं 21 वार्ड पार्षदों का चुनाव दलीय आधार पर हुए थे, जिसमे भाजपा के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार को विजय प्राप्त हुई थी. चुनाव के परिणाम की घोषणा दिनांक 20 अप्रैल 2018 को हुई थी. चुनाव के पूर्व सभी पार्टीयो ने अपने उम्मीदवारों के जीत के लिए  जनता से कई प्रकार के बड़े बड़े वादे किए. वहीं  चुनाव में कई पार्टीयो ने अपने उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित कराने के लिये विधायक, सांसद, मंत्री सभी लोगों ने  जनता से वोट के लिए अपील की साथ ही  कई चुनाव सम्बंधित कार्यक्रम भी किये.   परिषद चुनाव के नतीजों को आये आज पूरा एक साल बीत गया लेकिन जनता से किये हुए अपने वादों को न तो विजय उम्मीदवार  न ही सांसद व मंत्री ने पूरा किया. चिरकुंडा नगर परिषद चुनाव के 1 वर्ष पूरे होने के पश्चात आज भी चिरकुंडा के सड़के अंधकार कब कोई बड़ी घटना घट जाए वो राम भरोसे अगर लाइटे लगी है तो वह तारो की तरह टिमटिमाते नजर आते है. कई वार्डों में इस तरह गन्दगी का अम्बार लगा हुआ है. साफ़ सफाई के लिए जनता जीते हुए  उम्मीदवारों से गुहार लगाने उनके घर जाती है और वहाँ से निराशा के अलावा कुछ नहीं मिलता. नगर वासियों का कहना है कि समस्या का पूरा नही होना ही चुनाव के वादो की याद दिलाता है. चिरकुंडा में कई समस्या है जो आधी अधूरी पड़ी हुई सुविधाओं से जनता कोसों दूर है.   चिरकुंडा के सामुदायिक शौचालय, चिरकुंडा जलापूर्ति योजना इन दो योजनाओं से जनता आज भी वंचित है. यह योजनायें आज तक पूर्ण रूप से चालू नहीं हो पाई है. सड़क किनारे चिरकुंडा नगर परिषद द्वारा बनाया गये कई ऐसे पेशाबघर है जिनका इस्तमाल करना बेहद ही मुश्किल है. इन पेशाबघरों से आपको इतनी गंदी बदबू आयेगी कि  उसके अन्दर प्रवेश करना अपने आओ में चुनौती है. पेशाब घर योजना को पूरा होते होते घर के दरवाज़े उखड़ गए पानी की व्यवस्था नही हो पाई है. चिनप चुनाव में जीते उम्मीदवार शायद चिरकुंडा में विकास के लाख दावे साबित कर दे. लेकिन जनता आज भी पीने के पानी के लिये तरस रही है और अपनी प्यास बुझाने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों से पानी ला रहे है.   करोड़ो की योजना सामुदायिक शौचालय में लटके ताले आज भी चमकदार है. जमीनी समस्याओं से प्रतिदिन संघर्ष कर रहे नगर वासियों का कहना है कि कहने को तो वह लोग शहरी क्षेत्र के नागरिक हैं परन्तु सुविधाओं के मामले में ग्रामीण भी उनसे बेहतर स्थिति में हैं.