निर्माणाधीन पुल का ढहना भ्रष्टाचार का ज्वलंत उदाहरण: ए. के. झा

धनबाद: बाघमारा प्रखंड के कुंजी नूतनडीह व बोकारो जिला की कुम्हरी बस्ती के बीच दामोदर नदी पर दस करोड़ की लागत से बन रहे पुल का एक स्लैब मंगलवार की रात कार्य करने के दौरान ढह गया. स्लैब ढहने से निर्माण कार्य में लगे आधा दर्जन मजदूर घायल हो गए. मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना के तहत ग्रामीण विकास विभाग (ग्रामीण कार्य मामले) द्वारा इस पुल का निर्माण किया जा रहा है. पुल का शिलान्यास 8 फरवरी 2018 को किया गया था. घटना के बाद ग्रामीणों ने पुल निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. स्पष्ट है कि जनहित के काम में अनियमितता बरती गई है. उक्त बातें राकोमसं के महामंत्री एके झा ने कहीं. उन्होंने कहा कि स्लैब गिरने से घायल जबरदाहा जामताड़ा के 24 वर्षीय कमल मरांडी व इसी गांव के 32 वर्षीय चंदन टुडू काे हाउसिंग काॅलाेनी स्थित कैलाश हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. उपचार के बाद चंदन काे डिस्चार्ज कर दिया गया, जबकि कमल की हालत गंभीर बनी हुई है. घायल चंदन ने बताया कि पुल का निर्माण के लिए सैंटरिंग का काम चल रहा था. बन चुके पुल के स्लैब पर चढ़कर सैंटरिंग कर रहा था. इसी दाैरान बन चुका स्लैब अचानक गिर गया. इसके साथ ही पूरी सैंटरिंग जमीन पर आ गिरी. ये घटना राज्य में हुए विकास कार्यों की पोल खोलता है.

हाल ही में, अगस्त महीने में झारखंड के उत्तरी छोटानागपुर में बनी बहुप्रतीक्षित कोनार नहर परियोजना के उद्घाटन के 13 घंटे बाद ही बह गई. घटिया निर्माण के कारण बगोदर में नहर की बांध टूट गई. आला अफसरों का तर्क था कि चूहों के बिल खोदने से बांध कमजोर हो गई थी. इस परियोजना से हजारीबाग, गिरिडीह और बोकारो में सिंचाई की दिक्कतों को दूर करने का लक्ष्य है. इसमें करीब 2176 करोड़ रुपए की लागत आई. नहर का 100 फीट हिस्सा टूटने के बाद छह गांवों की 100 एकड़ में लगी फसल बर्बाद हो गई. कई इलाकों में पानी भर गया.  

कहने का अर्थ है कि डबल इंजन की सरकार ने जो विकास कार्य किए हैं, उसकी असलियत क्या है. सरकार डंके की चोट पर विकास का दावा करती है, लेकिन इस तरह से पुल का ढहना, नहर का बह जाना दु:खद ही नहीं, दुर्भाग्यपूर्ण है.