उसूलों से डिगा नहीं हूं मैं, अभी थका नहीं हूं मैं : राजपाल यादव

धनबाद: शब्द श्री द्वारा संचालित साहित्यिक संस्था शीर्षक साहित्य परिषद् की धनबाद इकाई की ओर से मोनालिसा रेस्टोरेंट में बीसीसीएल के सेवानिवृत्त जीएम (कार्मिक) व साहित्यकार राजपाल यादव का सम्मान समारोह आयोजित किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ. विषय प्रवेश संस्था की धनबाद प्रभारी रत्ना वर्मा ने किया. संचालन कविता विकास ने किया.  

रॉकेट की तरह तेज और असरदार हैं राजपाल की कविताएं: बनखंडी मिश्र 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बनखंडी मिश्र ने राजपाल यादव की मुक्तकंठ से प्रशंसा की. उन्होंने उनकी रचनाओं को रॉकेट की तरह तेज और असरदार बताया और उनके सुखद भविष्य की कामना की.  

इनकी सादगी और विनम्रता से काफी प्रभावित हूं: मनमोहन पाठक 

साहित्यकार मनमोहन पाठक ने कहा कि, शीर्षक साहित्य परिषद् का कार्यक्रम काफी आवश्यक और सराहनीय है. मेरे लिए यह भावुक क्षण है. मैं राजपाल जी की सादगी और विनम्रता से काफी प्रभावित हूं. मैने इनके व्यक्तित्व से सीखा है. इन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान क्षेत्र के साहित्यकारों को एक सूत्र में बांधे रखा. कोयली कंपनी में काम करने के दौरान पांच-पांच पुस्तकों का लेखन उपलब्धिपूर्ण है. राजपाल जी ने कभी साहित्यिक गुटबाजी को पनपने नहीं दिया है.  

समय के रेत पर राजपाल यादव की छाप अमिट है: कविता विकास 

शिक्षाविद् एवं साहित्यकार कविता विकास ने कहा कि, यह आयोजन राजपाल यादव के लिए आयोजित किया गया है. साहित्य का क्षेत्र बहुत समृद्ध है. उससे संस्कृति पनपती है. इस संस्कृति का काम सबको जोड़ना होता है. सबको साथ लेकर चलना होता है. यही काम राजपाल यादव ने किया है. समय के रेत पर जो राजपाल यादव ने छाप छोड़ी है, वह अमिट है.  

धनबाद के साहित्यिक पर्यावरण के समृद्ध करने में राजपाल यादव का योगदान अविस्मरणीय है: कृष्ण मनु

लघु कथाकार कृष्ण मनु ने कहा कि, मैं राजपाल यादव को दो दशक से ज्यादा समय से जानता हूं. अधिकारी के तौर पर इनकी कार्य क्षमता, शालीनता, मदद करने की भावना अनुकरणीय है. धनबाद के साहित्यिक पर्यावरण को समृद्ध करने में इनकी अहम भूमिका रही है.

राजपाल जी की कविताओं का फलक काफी विस्तृत है: उदयवीर सिंह 

उदयवीर सिंह ने कहा कि, राजपाल यादव से मुलाकात 2013 में मदुरै के एक कार्यक्रम में हुई थी. जब ये बीसीसीएल में आए, तो हमलोगों में एक नया उत्साह का संचार हुआ कि भाषा-साहित्य के मर्मज्ञ हमारे पदाधिकारी बनकर आये हैं. अपनी सेवा की व्यस्तताओं के बीच पांच काव्य संग्रह की रचना करना बहुत बड़ी बात है. इन्होंने साहित्य को काफी समृद्ध किया है. इनकी कविताओं का फलक विस्तृत है.  

राष्ट्रीय स्तर का साहित्यिक आयोजन कर राजपाल जी की इच्छा पूरी करूंगा: अवधेश सिंह 

अवधेश सिंह ने कहा कि, राजपाल यादव एक व्यक्ति नहीं, बल्कि संस्था हैं. इन्होंने साहित्य के प्रचार-प्रसार करने, साहित्यिक गतिविधियों का बढ़ाने के लिए साहित्यिक विचार मंच की स्थापना की. राजपाल यादव की दिली इच्छा रही है कि धनबाद में राष्ट्रीय स्तर का एक साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाए. मैं उन्हें पूरा विश्वास दिलाता हूं कि बहुत जल्द हमलोगों द्वारा एक राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा, जिसमें राजपाल जी को आमंत्रित किया जाएगा.  

राजपाल जी की विदाई साहित्यप्रेमियों के लिए भावुक घड़ी है: शकुंतला मिश्रा 

सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्त्ता शकुंतला मिश्रा ने कहा कि, राजपाल यादव जी साहित्य को जितना दिया है, वह प्रेरणास्पद है. इनकी कविताएँ प्रगतिवादी हैं. इनका भावी जीवन सुखद रहे, यही कामना है.

अभी नहीं थका हूं मैं: राजपाव यादव 

थोड़ा क्षुब्ध हूँ मैं थोड़ा क्रुद्ध हूँ मैं, पर अभी चूका नहीं हूं मैं, उसूलों से डिगा नहीं हूं मैं, अभी थका नहीं हूं मैं.. . कविताएं सुनाकर लोगों को अपनी दृढता और जिजीविषा से राजपाल यादव ने सम्मान समारोह में लोगों को परिचित कराया. राजपाल यादव जी ने कहा कि, मेरी साहित्यिक यात्रा में कारगिल युद्ध की बड़ी भूमिका रही. मेरे साहित्यिक गुरु बनखंडी मिश्र रहे हैं, जिन्होंने मेरी पहली पुस्तक आंच न आने देंगे का प्रकाशन और मार्गदर्शन किया था. धनबाद के साहित्यकारों मनमोहन पाठक, कृष्ण मनु, रत्ना वर्मा, कविता विकास, अवधेश सिंह समेत साहित्यप्रेमियों के माध्यम से मुझे साहित्यिक गतिविधियों में काफी सहायता हुई. भारतीय सांस्कृतिक विचार मंच के नाम से साहित्यिक गतिविधियों की शुरुआत की थी. उन दिनों मैं भारत कोकिंग कोल लिमिटेड के चांच विक्टोरिया में पदस्थापित था. कंपनी की दूसरी पारी में साहित्य विचार मंच से साहित्यिक कार्य प्रारंभ किया, जिसमें अनिल अनलहातु, नारायण सिंह, उदयवीर सिंह एवं दिलीप सिंह की अहम भूमिका रही. इस मौके पर राजपाल यादव ने हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया.

इस मौके पर निर्दोष लक्ष्य जैन ने जय जय हिंदी, पढ़ो हिंदी, लिखो हिंदी नामक कविता तरन्नुम में सुनायी.   रिंकू दूबे वैष्णवी ने सरस्वती-वंदना प्रस्तुत कर लोगों की प्रशंसा पाई. अनिल सिन्हा ´गुड्डू´ ने कुछ तो बात है, आप छा रहे हो, जिस उम्र में सभी थक रहे, आप उम्र को डरा रहे हो कविता सुनाकर लोगों की वाह-वाही लूटी. सुनील वर्मा ने राजपाल यादव को एक अच्छा शिक्षक बताया. साथ ही, दृढ संकल्पित और मुकद्दर का बादशाह भी बताया. उन्होंने अपनी हास्य कविता से लोट-पोट कर दिया. कार्यक्रम का समापन कविता विकास एवं मंजू शरण ने होली की कविता के साथ की. अंत में, सबने एक-दूसरे को होली की बधाई गुलाल लगाकर दी.