नौटंकी में झमेला नाटक का मंचन, लुप्त होती नाटक की अपसंस्कृति पर दिखा तीखा प्रहार

भूली. भूली के बी ब्लॉक पतंजलि योग शिविर के प्रांगण में कला निकेतन के कलाकारों के द्वारा हास्य व्यंग्य नाटिका नौटंकी में झमेला का मंचन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन जिप सदस्य प्रियंका पाल ने किया. विशिष्ठ अतिथि के रूप में बैंक ऑफ इंडिया की अधिकारी आभा तिर्की, पंतजलि योग शिविर के अशोक गुप्ता, पार्षद प्रतिनिधी रंजीत कुमार बिल्लू उपस्थित थे.  

वशिष्ठ प्रसाद सिन्हा के निर्देशन में नौटंकी में झमेला नाटक  सड़ी-गली अपसंस्कृति पर तीखा प्रहार कर एक स्वस्थ जन- संस्कृति के निर्माण की बात करता दिखा. वशिष्ठ प्रसाद सिन्हा ने बताया कि हमारे समाज में  नौटंकी, रामलीला, नेटुआ जो शुद्ध संस्कृति रहे वो  विलुप्त होती जा रही है जिसे बचाने की जरूरत है. ये ऐसे कार्यक्रम होते थे जिसका आनंद पूरा परिवार एक साथ बैठ कर लेता था. परन्तु टी वी, मोबाईल, फेसबुक, वाट्सअप के कारण नौटंकी की सुंदरता खत्म हो गई. कार्यक्रम का संचालन मानस रंजन पाल ने किया.

कहानी पर एक नजर 

एक दिन गांव के प्रधान बाबू अपने मनोरंजन के लिये नौटंकी के सट्टा करते है. नौटंकी में धनुआ नामक लौंडा के फूहड़पन नाच -गाना न होने से  धनुआ को नौटंकी टीम से निकाल दिया जाता है क्योंकि उम्रदराज होने के बाद भी कृष्ण के दृष्य में धनुआ राधा बना था. नौटंकी से निकलने के बाद धनुआ टूट जाता है और स्थानीय युवकों को लेकर खुद की नौटंकी शुरु करता है.

इसके लिए उसकी पत्नी को काफी जिल्लत झेलनी पड़ती है. उसकी पत्नी को सब लौंडा की पत्नी कहकर पुकारते है. यह सुनकर वह शर्मिंदा नही होता बल्कि यह कहता है कि हम ही देश की संस्कृति है. एक दिन एक नौटंकी के दौरान उसके कलाकार धोखा दे देते है. इसके बाद वह खुद कृष्ण और अपनी पत्नी को राधा बनाकर नई संस्कृति की शुरुआत करता है.

कलाकारों में सबीना परवीन,-शोभा, नूतन सिन्हा, आकाश सहाय, बशिष्ठ प्रसाद सिन्हा, बिश्वजीत कुमार,  मनोहर कुमार, इश्तियाक अहमद, किशोर कुमार बिश्वजीत चटर्जी, प्रवीर कुमार,  शैलेश श्रीवास्तव, अंजनी शाह, दिव्या, शैव्या, नित्या ने किरदार निभाया.