निरसा विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प होने की संभावना, भाजपा,मासस व जेएमएम के बीच त्रिकोणीय संघर्ष की उम्मीद अपर्णा को टिकट मिलते ही बगावत शुरू अंजामें गुलिस्ता क्या होगा ?

रिपोर्ट - बी के सिंह

निरसा :- झारखण्ड राज्य के धनबाद जिले में  छह विधानसभा है. यंहा   चौथे चरण में यानी 16 दिसम्बर को चुनाव होने जा रहा है. दो तीन नामों को छोड़कर अभी तक उम्मीदवारों का नाम पूरी तरह स्थिति साफ नही हो पाई है. कुछ राजनीतिक पार्टियों के संभावित उम्मीदवार अभी भी रांची और दिल्ली की दौर लगा रहे हैं. चर्चा है की  निरसा विधानसभा सीट के लिये भाजपा से  अपर्णा सेन गुप्ता, मासस से अरुप चटर्जी, जंहा तक जेएमएम का सवाल है अभी तक बामपंथ और जेएमएम के बीच सीट शेयरिंग का कांटा फंसा हुआ है, सूत्र के अनुसार एक दो दिन में पिक्चर साफ होने की उम्मीद है. आरपार के निर्णय पर ही अशोक मंडल का भविष्य निर्भय करता है. वैसे

जेएमएम से अशोक मंडल  के उम्मीदवार बनने की उम्मीद जताई जा रही है. इसके अलावा एन सी पी, जेवीएम, टीएमसी, ए आईं एम एम आई  ( ओबैसी की पार्टी),   के उम्मीदवार भी अपना अपना भाग्य आजमाएंगे . महागठबंधन के तहत जेएमएम से बाम दलों के लिये सीट बंटवारे में अरुप चटर्जी का प्रयास अबतक निष्फल रहा है. पिछले चुनाव में मात्र एक हजार वोट से पीछे रहे रहने वाले भाजपा के गणेश मिश्र को इस बार उम्मीदवार न बनाकर अपर्णा सेन गुप्ता को उम्मीदवार बनाया गया है. अपर्णा सेन गुप्ता को उम्मीदवार बनाये जाने के पीछे उनके द्वारा किये गए विकास कार्य,तथा बंगाल महिला मोर्चा प्रभारी बनाये जाने के बाद भाजपा को मिली सफलता को आधार बनाया गया है. पार्टी आलाकमान के इस निर्णय से गणेश मिश्र के खेमे में घोर निराशा छा गई है. सूत्र बताते हैं कि गणेश मिश्र आजसू का दामन थाम सकते हैं. जानकर सूत्र के अनुसार निरसा विधान सभा मे मुख्य मुकाबला  भाजपा के अपर्णा सेन गुप्ता,मासस के अरुप चटर्जी एवमं जेएमएम के अशोक मंडल के बीच त्रिकोणीय चुनाव होने की संभावना है.   

भाजपा खेमे में अंतर्कलह से किसको फायदा होने वाला है ?


भारतीय जनता पार्टी से अपर्णा सेन गुप्ता को टिकट दिए जाने से गणेश मिश्र के खेमे में घोर निराशा छा गई है. टिकट नही मिलने से नाराज मिश्र गुट के लोंगों ने शीर्ष नेतृत्व पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुये कहा है की चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकते हैं इसलिये गणेश मिश्र के नाम पर पुनर्विचार किया जाय. तो दूसरी ओर टिकट प्राप्त अपर्णा सेन गुप्ता कहती हैं कि शीर्ष नेतृत्व का सम्मान करते हुये भूले विसरे बातों को भूल कर सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास के सिद्धान्त पर चलकर नये भारत के निर्माण में जुट जाना चाहिये. अगर अंतर्कलह पर विराम नही लगा तो अंजाम गुलिस्तां क्या होगा आसानी से समझा जा सकता है.


वही निरसा से भाजपा के प्रशिक्षण प्रमुख कहे जाने वाले गणेश मिश्र के साथ अब भाजपा नेत्री अनिता गोराई भी तल्ख रुख अख्तियार कर लिया है उनके भी चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान उनके पति जिला परिषद अध्यक्ष रोविन गोराई ने संकेत दे दिया है. ऐसी स्थिति मे एक भाजपा के  दो दो नेता विरोध करे तो अपर्णा सेन गुप्ता का डगर आसान नही दिखता है. इस बार चुनावी समीकरण बदलता नजर आ रहा है जिसके कारण निरसा विधानसभा का चुनाव बड़ा ही दिलचस्प होने की संभावना बढ़ गई है.