अतिक्रमण अभियान का विरोध, बेघर हुए रांगाटांड वासियो ने डीआरएम कार्यालय में डाला डेरा, मांगी छह माह की मौहलत

धनबाद. रांगा टांड रेलवे कॉलोनी को मॉडल कॉलोनी के रूप में विकसित करने की रेलवे के इस प्लानिंग में एक तबका सड़क पर आ चुका है. रेल प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे अतिक्रमण अभियान में कॉलोनी में बसे सैकड़ो परिवार का आशियाना छीन गया है. यहाँ रेलवे की जमीन पर पिछले 50 सालों से लोग बसे है.

रेलवे अपनी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करने को लेकर बुलडोजर चलाकर झुगी झोपड़ियों को उजाड़ रही है. इसे रेल प्रशासन की हठधर्मिता बताकर लोगो ने रेलवे की कार्रवाई का विरोध शुरू कर दिया है.

अतिक्रमण अभियान में बेघर हुए लोगो का उग्र रूप गुरुवार को सामने आया. आक्रोशित महिला पुरुष सैकड़ो की संख्या में डीआरएम कार्यालय पहुँचकर डेरा डाल दिया.

स्थानीय युवक आनंद कुमार का कहना है कि रेल प्रशासन की कार्रवाई कही से न्याय संगत नही है. बगैर नोटिस के बुलडोजर चलाकर उनकी झुग्गी झोपड़ी को उजाड़ा गया. एक एक परिवार आज सड़क पर आ चुका है. बरसात के इस मौसम लोगो से उनका आशियाना छीना गया.

डीआरएम को यह तय करना चाहिए कि जिनका झोपड़ी तोड़ा गया उन्हें वैकल्पिक जगह मिलेगी या नही. बेघर हुए लोगो को रेल प्रशासन अगर वैकल्पिक व्यवस्था नही दे सकती है तो कम से कम उन्हें अपना खुद का ठिकाना बनाने के लिए छह माह की मौहलत मिलनी चाहिए.

रेल प्रशासन की कार्रवाई से क्षुब्ध एक बुजुर्ग महिला ने कहा कि उन्हें सर छुपाने की जगह नही मिलती है तो वह अंतिम सांस तक इसी डीआरएम कार्यालय के बाहर धरने पर बैठने के लिए विवश होंगी.